इंदौर शहर के निजी अस्पतालों में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ है। तीन अस्पतालों में अनियमितताओं की शिकायत के बाद भी जब संबंधित विभागों ने कार्रवाई नहीं की, तो मामला सीधे हाईकोर्ट तक पहुंच गया। याचिका की सुनवाई के दौरान यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि सिर्फ तीन ही नहीं, बल्कि 36 अन्य अस्पताल भी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर संचालित किए जा रहे हैं।
फर्जी अस्पतालों के खिलाफ हाईकोर्ट सख्त, पुलिस में शिकायत के आदेश
अधिवक्ता चर्चित शास्त्री द्वारा दाखिल की गई याचिकाओं (क्रमांक 33782, 33802, और 33771) में यह दावा किया गया कि शहर के कई अस्पताल बिना वैध अनुमति के चल रहे हैं। हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए संबंधित पुलिस थानों में शिकायत दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। जिन तीन अस्पतालों पर प्रारंभिक आरोप लगाए गए हैं, उनमें तुलसी वरदान (गांधीनगर), शेख हबीब (कोहिनूर कॉलोनी), और अविरल हॉस्पिटल (शांतिनाथपुरी / हवा बंगला) शामिल हैं।
आरटीआई से खुला फर्जीवाड़े का जाल
याचिकाकर्ता ने स्वास्थ्य विभाग से आरटीआई (सूचना का अधिकार) के तहत दस्तावेज मांगे थे। इन दस्तावेजों की जांच में पाया गया कि अस्पतालों ने रजिस्ट्रेशन के लिए नगर निगम के फर्जी भवन अनुमति प्रमाणपत्र जमा किए थे। इन फर्जी दस्तावेजों में नगर निगम के अधिकारियों के कथित हस्ताक्षर और मोहर का भी दुरुपयोग किया गया था।
जब इन दस्तावेजों की सत्यता की जांच के लिए नगर निगम से दोबारा पुष्टि की गई, तो निगम ने स्पष्ट कहा कि ऐसे किसी भी प्रमाणपत्र को उनकी ओर से जारी नहीं किया गया था।
फर्जी दस्तावेजों के पीछे पैसों का खेल
अधिवक्ता शास्त्री ने अदालत को बताया कि स्वास्थ्य विभाग के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से यह फर्जीवाड़ा किया गया। रुपयों के लेन-देन के बदले अस्पताल संचालकों के लिए नकली दस्तावेज तैयार किए जाते थे। इससे कई अस्पताल बिना वैध स्वीकृति और सुरक्षा मानकों के संचालन कर रहे थे, जिससे मरीजों की जान को खतरा पैदा हो गया था।
हाईकोर्ट ने एक माह में मांगी जांच रिपोर्ट
हाईकोर्ट की डबल बेंच (न्यायमूर्ति विवेक रुसिया और आलोक अवस्थी) ने मामले को गंभीर मानते हुए न केवल तीन अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए, बल्कि इंदौर के अन्य सभी संदिग्ध अस्पतालों की जांच रिपोर्ट एक माह में पेश करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता पुलिस में शिकायत दर्ज कराते हैं, तो संबंधित थाना कानूनी कार्रवाई करने के लिए बाध्य होगा।
फर्जी दस्तावेजों से चल रहे 40 से अधिक अस्पताल
याचिकाकर्ता के अनुसार, इंदौर में 40 से अधिक निजी अस्पताल फर्जी दस्तावेजों के आधार पर चल रहे हैं। इनमें से कई अस्पताल अवैध कॉलोनियों में बने हुए हैं, जहाँ भवन निर्माण की अनुमति भी नहीं ली गई। इसके बावजूद इन संस्थानों में मरीजों का इलाज किया जा रहा है, जो स्वास्थ्य सुरक्षा मानकों का खुला उल्लंघन है।
जिन अस्पतालों पर लगे हैं आरोप
कोर्ट में दी गई सूची के अनुसार, फर्जीवाड़े के आरोप इन अस्पतालों पर लगाए गए हैं –
लेडी हलीमा अस्पताल, शेख हबीब अस्पताल, गीतांजलि अस्पताल, ब्रीथ केयर हॉस्पिटल, रॉयल केयर अस्पताल, अल हयात अस्पताल, सिटी नर्सिंग होम, अंकुर अस्पताल, मेट्रो अस्पताल, प्रशांति हॉस्पिटल, स्टार हेल्थ अस्पताल, फील अस्पताल, पल्स हॉस्पिटल, श्रीपद अस्पताल।