MP में 27 प्रतिशत ओबीसी reservation लागू करने पर रोक नहीं

स्वतंत्र समय, भोपाल

मप्र सरकार द्वारा वर्ष 2019 में ओबीसी वर्ग को 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 प्रतिशत आरक्षण ( reservation ) देने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई विशेष अनुमति याचिका खारिज हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण पर कोई रोक नहीं हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने माना 27 फीसदी reservation लागू करने में अड़चन नहीं

यूथ फॉर इक्वेलिटीसंगठन की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने मप्र हाईकोर्ट के आदेश को सही मानते हुए स्पष्ट किया कि 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण ( reservation ) को लागू करने में कोई न्यायिक अड़चन नहीं हैं। एडवोकेट धर्मेंद्र सिंह कुशवाहा ने बताया कि 26 फरवरी 2025 को मप्र हाईकोर्ट जबलपुर के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायाधीश विवेक जैन की संयुक्त बेंच ने 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के कानून का पालन करने का आदेश देते हुए कहा था कि 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पर किसी प्रकार की रोक नहीं है। ऐसे में याचिका आज तक किस प्रकार से चल रही है।

सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी याचिका

इसको देखते हुए हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की थी। उस आदेश के खिलाफ यूथ फॉर इक्वेलिटी संगठन के द्वारा सुप्रीम कोर्ट दिल्ली में एसएलपी दायर की गई थी। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट नंबर 8 में न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल ने 22वें नंबर पर इस एसएलपी की सुनवाई की। ओबीसी महासभा की तरफ से एडवोकेट वरुण ठाकुर एवं एडवोकेट रामकरण के माध्यम से न्यायालय के सामने पक्ष रखा गया।

सरकार ने मजबूती से पक्ष नहीं रखा: कुशवाहा

एडवोकेट धर्मेंद्र कुशवाहा ने कहा कि सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से पक्ष नहीं रखा गया। इससे जाहिर होता है कि मध्य प्रदेश की सरकार पिछड़े वर्ग को उनका अधिकार देना नहीं चाहती। ऐसी दशा में ओबीसी महासभा ने अपने वर्ग को न्याय दिलाने के लिए संगठन की ओर से अपने वर्ग से एक-एक रुपए इक_ा करके सुप्रीम कोर्ट में अपने वकीलों से पैरवी कराई।