नया BJP प्रदेशाध्यक्ष मिलने पर खुलेंगे निगम-मंडलों के दरवाजे

स्वतंत्र समय, भोपाल

प्रदेश में नौ महीनों से खाली पड़े निगम-मंडलों में अपना राजनीतिक भविष्य तलाश रहे भाजपा ( BJP ) नेताओं को अब संगठन पर्व पूरा होने का इंतजार करना पड़ेगा। प्रदेश भाजपा को नया अध्यक्ष मिलने के बाद ही निगम-मंडलों के दरवाजे खुल सकेंगे। हालांकि संगठन चुनाव शुरू होने के पहले ही एक सूची लगभग तैयार की जा चुकी है। अब सदस्यता अभियान के आधार पर फाइनल लिस्ट तैयार कर नए साल के तोहफे में नेताओं को निगम-मंडलों के पद दिए जा सकते हैं।

BJP ने ने निगम-मंडल के पदों का दिलाया था भरोसा

विधानसभा और लोकसभा चुनावों के दौरान दलबदल करने वाले कांग्रेसी दिग्गजों के साथ ही अपने नाराज नेताओं को मनाने के लिए भी भाजपा ( BJP ) ने निगम-मंडल व प्राधिकरणों के पदों का भरोसा दिलाया था। यही वजह थी कि अपनी पार्टी की सरकार आने के बाद भी मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पिछली सरकार द्वारा बनाए गए 46 निगम-मंडलों के अध्यक्ष व उपाध्यक्षों की नियुक्ति निरस्त कर दी थी। ये सब भी अबतक आस लगाए बैठे हैं कि उन्हें सरकार सम्मान वापस करेगी। सूत्रों की मानें तो इनमें से कुछ को सीएम यादव और प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने भी दोबारा पद व रुतबा देने का मन बना लिया है। निगम-मंडलों के लिए बनाई गई छोटी सूची में करीब एक दर्जन चेहरे लगभग तय कर लिये गए हैं। इस सूची में संघ और संगठन का तालमेल बनाया गया है तो कांग्रेस से आकर भाजपा को लोकसभा में क्लीन स्वीप को मौका देने वाले पूर्व कांग्रेसी भी शामिल हैं।

ये नाम हो चुके हैं तय

सत्ता और संगठन अब तक जिन नामों को तय कर चुके हैं, उनमें पांच संघ व संगठन के बताए जा रहे हैं तो तीन कांग्रेस से आए चेहरे हैं। एक सिंधिया समर्थक नेता की भी लाटरी पहली सूची में ही खुल सकती है। इस सूची में प्रदेश भाजपा के पूर्व कोषाध्यक्ष बैतूल से दोबार के विधायक व पूर्व सांसद हेमंत खंडेलवाल का नाम तय माना जा रहा है तो पूर्व उपाध्यक्ष विनोद गोटिया भी इस सूची में शामिल बताए जा रहे हैं। संघ से जुड़े पूर्व संभागीय संगठन मंत्री शैलेंद्र बरुआ और आशुतोष तिवारी को भी फिर से निगम-मंडल की कुर्सी मिल सकती है। संगठन से हटाने के बाद दोनों को सरकार ने मंत्री पद का दर्जा देते हुए निगम-मंडल में बैठाया था, लेकिन सीएम यादव ने फरवरी में इनकी नियुक्ति भी निरस्त कर दी।

कांग्रेस से आए ये चेहरे हैं दमदार

लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस छोडक़र भाजपा को मजबूती देने वाले पूर्व सीएम कमलनाथ के कट्टर समर्थक रहे पूर्व विधायक दीपक सक्सेना प्रमुख हैं। चार बार के विधायक सक्सेना द्वारा छोड़ी गई सीट से ही उपचुनाव जीतकर तत्कालीन सीएम नाथ पहली बार विधायक बने थे। पूर्व सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी का नाम भी तय माना जा रहा है। इन दोनों के अलावा ग्वालियर से सिंधिया समर्थक पूर्व विधायक मुन्नालाल गोयल को जगह मिलने की पूरी उम्मीद है। इनका 2023 में टिकट काटा गया था।

इनका वादा भी होना है पूरा

निगम मंडल के भरोसे जिन भाजपा नेताओं की नाराजगी दूर की गई है, उनमें बुधनी उपचुनाव के प्रबल दावेदार पूर्व विधायक राजेंद्र ङ्क्षसह राजपूत ताजा नाम है। 2005 में सीएम बने शिवराज सिंह चौहान के लिए राजपूत ने ही अपनी विधायकी छोड़ी थी। अभी भी टिकट मांग रहे थे। वहीं विधानसभा और लोकसभा चुनावों के दौरान करीब आधा दर्जन नेताओं की टिकट काटते समय भी पार्टी ने निगम-मंडल में पद देने का वादा किया था। इनमें प्रदेश मीडिया प्रभारी रहे डॉ. हितेश वाजपेयी व लोकेंद्र पाराशर के अलावा दमदार प्रवक्ता पूर्व विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया के नाम भी प्रमुख हैं। संगठन पूर्व पूरा होते ही नया क्राइटेरिया बनाकर सदस्यता में अच्छा काम करने वालों को भी मौका मिलना है।