भोपाल: मध्य प्रदेश में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने और निवेश का माहौल बेहतर बनाने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में एक बड़ा फैसला लिया गया है। सरकार ने औद्योगिक भूमि उपयोग नीति में संशोधन करते हुए उद्योगों को अपनी आवंटित भूमि के 50 प्रतिशत हिस्से पर व्यावसायिक या आवासीय उपयोग की अनुमति दे दी है।
पहले यह सीमा केवल 20 प्रतिशत थी। इस फैसले से प्रदेश में बंद और बीमार पड़ी औद्योगिक इकाइयों को फिर से शुरू करने में मदद मिलने की उम्मीद है। कैबिनेट ने ‘मध्य प्रदेश एमएसएमई के औद्योगिक भूमि तथा भवन आवंटन एवं प्रबंधन नियम, 2021’ में इस संशोधन को मंजूरी दी है।
उद्योगों और बीमार इकाइयों को कैसे मिलेगा फायदा?
सरकार के इस कदम का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में औद्योगिक गतिविधियों को तेज करना है। नए नियम के अनुसार, कोई भी उद्योग अपनी कुल भूमि के आधे हिस्से को बेचकर या उसे व्यावसायिक गतिविधियों के लिए इस्तेमाल करके पूंजी जुटा सकता है। इससे उन इकाइयों को बड़ी राहत मिलेगी जो वित्तीय संकट से जूझ रही हैं।
माना जा रहा है कि इस फैसले से बीमार इकाइयां अपनी अतिरिक्त भूमि का मुद्रीकरण कर सकेंगी, जिससे उन्हें संचालन के लिए आवश्यक धन मिलेगा और वे फिर से खड़ी हो पाएंगी। इससे राज्य में रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।
‘वॉक टू वर्क’ कल्चर को मिलेगा बढ़ावा
नीति में बदलाव का एक और बड़ा उद्देश्य औद्योगिक क्षेत्रों में ‘वॉक टू वर्क’ की अवधारणा को साकार करना है। औद्योगिक भूमि पर आवासीय परिसरों के निर्माण की अनुमति मिलने से श्रमिकों और कर्मचारियों को कार्यस्थल के पास ही रहने की सुविधा मिलेगी। इससे न केवल उनका यात्रा का समय बचेगा, बल्कि शहरों के मुख्य आवासीय क्षेत्रों पर आबादी का दबाव भी कम होगा। यह उद्योगों के लिए भी फायदेमंद होगा क्योंकि उन्हें अपने कर्मचारियों के लिए बेहतर जीवन स्तर सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
कैबिनेट के अन्य महत्वपूर्ण फैसले
औद्योगिक नीति में बदलाव के अलावा, मोहन यादव कैबिनेट ने कई अन्य अहम प्रस्तावों को भी हरी झंडी दी है।
साइबर तहसील प्रणाली: प्रदेश के सभी 55 जिलों में अब साइबर तहसील प्रणाली लागू की जाएगी। इस प्रणाली के माध्यम से अविवादित नामांतरण और रजिस्ट्री से जुड़े मामलों کا निपटारा ऑनलाइन और तेजी से हो सकेगा, जिससे आम लोगों को बड़ी राहत मिलेगी।
पीएम कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस: कैबिनेट ने ‘पीएम कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस’ योजना को भी मंजूरी दी। इसके तहत प्रदेश के 55 जिलों में एक-एक सरकारी कॉलेज को उत्कृष्टता केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए 485 करोड़ रुपये के अतिरिक्त बजट को स्वीकृति दी गई है।
नई उप-तहसील को मंजूरी: मुरैna जिले के रिठौराकलां में एक नई उप-तहसील बनाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी मिल गई है, जिससे स्थानीय प्रशासन को मजबूती मिलेगी।