मध्य प्रदेश सरकार ने सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म की आड़ में ब्लैकमेलिंग करने वाले तत्वों के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने साफ संकेत दिए हैं कि बिना किसी रजिस्ट्रेशन या वैधानिक आधार के पत्रकारिता का दावा करने वाले और अधिकारियों को धमकाने वाले यूट्यूबरों को अब बख्शा नहीं जाएगा।
मंगलवार को मंत्रालय में हुई कैबिनेट बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि ऐसे तत्वों की पहचान की जाए जो पत्रकारिता के नाम पर अवैध वसूली या दबाव बनाने का काम कर रहे हैं। सीएम ने स्पष्ट कहा कि पत्रकारिता एक जिम्मेदार पेशा है और इसकी आड़ में अवैध गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
ब्लैकमेलिंग की शिकायतों पर एक्शन
बैठक में मुख्यमंत्री ने बताया कि उन्हें लगातार ऐसी शिकायतें मिल रही हैं कि कुछ लोग माइक और आईडी लेकर अधिकारियों और कर्मचारियों को धमकाते हैं। ये तथाकथित पत्रकार या यूट्यूबर बिना किसी संस्थान से जुड़े होते हैं और ब्लैकमेलिंग का काम करते हैं। सीएम ने कहा, ‘प्रशासनिक मशीनरी को ऐसे लोगों से डरने की जरूरत नहीं है, बल्कि इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जानी चाहिए।’
विज्ञापन नीति की होगी समीक्षा
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने जनसंपर्क विभाग को वर्तमान विज्ञापन नीति की समीक्षा करने के भी निर्देश दिए हैं। सरकार का मानना है कि डिजिटल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के बीच यह तय करना जरूरी है कि सरकारी विज्ञापन और सहयोग केवल विश्वसनीय और पंजीकृत संस्थानों को ही मिले। इस कदम का उद्देश्य फर्जीवाड़ा रोकना और वास्तविक पत्रकारिता को प्रोत्साहित करना है।
मंत्रियों ने भी उठाई थी आवाज
सूत्रों के मुताबिक, कैबिनेट बैठक से पहले भी कई मंत्रियों और विधायकों ने इस समस्या की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित किया था। जनप्रतिनिधियों का कहना था कि ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में यूट्यूबरों की बाढ़ आ गई है, जो विकास कार्यों में बाधा डालते हैं और अधिकारियों पर अनुचित दबाव बनाते हैं। सीएम के इस निर्देश के बाद अब जिला स्तर पर प्रशासन ऐसे अनधिकृत लोगों की सूची तैयार कर सकता है।
डिजिटल मीडिया के लिए बनेंगे नियम?
हालांकि सरकार ने अभी किसी नई नियमावली की घोषणा नहीं की है, लेकिन सीएम के तेवरों से साफ है कि डिजिटल मीडिया के लिए जल्द ही कुछ कड़े मानक तय किए जा सकते हैं। सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि सोशल मीडिया का उपयोग सूचना प्रसार के लिए हो, न कि भय का माहौल बनाने के लिए। आने वाले दिनों में जनसंपर्क विभाग इस दिशा में नई गाइडलाइन जारी कर सकता है।