MP कांग्रेस का ‘नया पैंतरा’, ‘दलित भोज’ से BJP को देगी टक्कर, मिशन 2028 के लिए फुल एक्टिव

मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी ने 2028 की विधानसभा चुनाव की तैयारियां अभी से शुरू कर दी हैं। प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी हर दिन पार्टी कार्यकर्ताओं और आम जनता से सीधे संवाद कर रहे हैं। पार्टी संगठन में परिवारवाद को किनारे रखकर जमीनी कार्यकर्ताओं की खोज की जा रही है। हाल ही में राहुल गांधी करीब 10 साल बाद भोपाल स्थित एमपी पीसीसी कार्यालय पहुंचे और वहां 5 घंटे बिताए। उन्होंने कांग्रेस नेताओं को जीत की राह दिखाने वाले “गुरु मंत्र” भी दिए।

बीजेपी की मजबूत पकड़ से परेशान कांग्रेस

दरअसल, कांग्रेस की ये हड़बड़ाहट यूं ही नहीं है। पिछले दो दशकों से मध्य प्रदेश में बीजेपी ने अपनी मजबूत पकड़ बनाई हुई है। कांग्रेस सिर्फ एक बार 2018 में सत्ता में आई, वो भी महज 15 महीनों के लिए। उस दौरान भी अंतर्कलह और अस्थिरता के कारण सरकार गिर गई। 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का गढ़ छिंदवाड़ा भी हाथ से निकल गया, जिससे पार्टी का मनोबल और गिर गया। ऐसे में अब कांग्रेस जल्दबाजी में नहीं, बल्कि रणनीति के साथ मैदान में उतरने की कोशिश कर रही है।

आंतरिक कलह बड़ी चुनौती

कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती है अंदरुनी खींचतान। कमलनाथ और जीतू पटवारी गुटों के बीच कोल्ड वॉर किसी से छिपा नहीं है। अब यह अंदरुनी विवाद मंचों पर भी दिखने लगा है। ऐसे माहौल में राहुल गांधी का खुद पार्टी की कमान संभालना और कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद करना ये दिखाता है कि पार्टी नेतृत्व अब कोई भी चूक नहीं करना चाहता। 2028 को जीतने के लिए अब हर दिन की योजना बनाई जा रही है।

दलित वोट बैंक पर कांग्रेस की नजर

मध्य प्रदेश की राजनीति में दलित समाज का वोट बैंक बेहद अहम माना जाता है। राज्य में 17 से 18 प्रतिशत दलित आबादी है, जो करीब 64 लाख होती है। 230 विधानसभा सीटों में से 35 सीटें दलित वर्ग के लिए आरक्षित हैं। 2023 के चुनाव में पीएम मोदी ने भी दलित वोट पर खास फोकस किया था, जिसका फायदा बीजेपी को मिला। अब कांग्रेस भी इसी गणित पर काम कर रही है और 2028 के लिए दलितों को जोड़ने की कोशिशें शुरू कर चुकी है। यही वजह है कि कांग्रेस अभी से अपनी जमीन मजबूत करने में लगी है।