MP DA Hike: मध्य प्रदेश के सात लाख से अधिक कर्मचारियों को अगले बजट (वर्ष 2025-26) में 64 प्रतिशत तक महंगाई भत्ता मिलने की संभावना है। इसके साथ ही, पेंशनरों के लिए भी इसी अनुपात में महंगाई राहत का प्रविधान रखा जाएगा। यह कदम कर्मचारियों और पेंशनरों के आर्थिक राहत प्रदान करने के लिए उठाया गया है, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति में सुधार होगा।
अगर वार्षिक वेतन वृद्धि तीन प्रतिशत की दर से होती है, तो संविदा कर्मचारियों के पारिश्रमिक में चार प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी। वित्त विभाग ने सभी विभागों से अनुरोध किया है कि वेतन-भत्ते के मद में कर्मचारियों की संख्या और आगामी भर्ती के अनुसार आकलन कर प्रस्ताव प्रस्तुत करें। यह कदम कर्मचारियों की वित्तीय स्थिति को बेहतर बनाने और सही बजट प्रबंधन के लिए उठाया गया है।
सभी विभागों में वेतन-भत्ते के लिए बजट में कर्मचारियों के महंगाई भत्ते और पेंशनरों की महंगाई राहत के लिए 56 प्रतिशत के हिसाब से प्रविधान रखा गया है। हालांकि, वर्तमान में कर्मचारियों को 46 प्रतिशत की दर से महंगाई भत्ता दिया जा रहा है। इस बीच, भारत सरकार ने महंगाई भत्ते को बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया है। यह स्थिति राज्य सरकार के कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए आर्थिक राहत में सुधार की आवश्यकता को दर्शाती है। प्रदेश में अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को 50 प्रतिशत की दर से महंगाई भत्ता दिया जा रहा है, जबकि कर्मचारी चार प्रतिशत महंगाई भत्ता बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव दीपावली के आसपास इस संबंध में घोषणा कर सकते हैं, जिससे कर्मचारियों को राहत मिल सकती है। यह कदम कर्मचारियों की वित्तीय स्थिति को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए सरकार ने 64 प्रतिशत की दर से महंगाई भत्ते के लिए राशि रखने के निर्देश दिए हैं। यदि यह वृद्धि होती है, तो आगामी वित्तीय वर्ष में कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 18 प्रतिशत बढ़ जाएगा। इसके अलावा, वार्षिक वेतन वृद्धि और संविदा कर्मचारियों के पारिश्रमिक में वृद्धि के लिए वर्तमान वित्तीय वर्ष की तरह ही प्रविधान रखा जाएगा। यह निर्णय कर्मचारियों के आर्थिक कल्याण के लिए महत्वपूर्ण है।
सभी विभागों से उन योजनाओं का आकलन कराया जा रहा है जिनकी अब उपयोगिता नहीं है। इन योजनाओं को समाप्त करने या अन्य योजनाओं में समाहित करने की प्रक्रिया पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए प्रत्येक विभाग से एक-एक योजना का पिछले वर्षों की उपलब्धियों के आधार पर आकलन करने को कहा गया है। यह कदम सरकारी संसाधनों के बेहतर प्रबंधन और प्रभावी योजना कार्यान्वयन के लिए उठाया गया है।