भोपाल: मध्य प्रदेश में सोयाबीन किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार ने भावांतर भुगतान योजना के तहत किसानों को ₹500 प्रति क्विंटल की प्रोत्साहन राशि देने का ऐलान किया है। यह फैसला उन लाखों किसानों को आर्थिक राहत देगा, जिन्हें मंडी में अपनी उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम कीमत पर बेचनी पड़ी थी।
कृषि विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार, यह राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर की जाएगी। सरकार का यह कदम किसानों को फसलों के बाजार भाव में होने वाले उतार-चढ़ाव से बचाने और उनकी आय सुनिश्चित करने के प्रयास का हिस्सा है।
क्यों लिया गया यह फैसला?
इस साल सोयाबीन के लिए केंद्र सरकार ने ₹4,892 प्रति क्विंटल का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया था। हालांकि, मध्य प्रदेश की मंडियों में किसानों को उनकी उपज का भाव औसतन ₹4,200 से ₹4,400 प्रति क्विंटल ही मिला। इस वजह से किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा था।
किसानों की इसी समस्या को देखते हुए राज्य सरकार ने भावांतर भुगतान योजना को लागू करने का निर्णय लिया। इस योजना का मुख्य उद्देश्य एमएसपी और बाजार मूल्य के अंतर की भरपाई कर किसानों को नुकसान से बचाना है।
कैसे हुई ₹500 की राशि की गणना?
सरकार ने भावांतर राशि की गणना के लिए एक ‘मॉडल रेट’ तय किया है। कृषि विभाग ने सोयाबीन का मॉडल विक्रय मूल्य ₹4,375 प्रति क्विंटल निर्धारित किया है।
गणना के अनुसार, एमएसपी (₹4,892) और मॉडल रेट (₹4,375) के बीच का अंतर ₹517 प्रति क्विंटल बनता है। सरकार ने इसे राउंड ऑफ करते हुए किसानों को ₹500 प्रति क्विंटल की भावांतर राशि देने का फैसला किया है। यह राशि किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण बोनस साबित होगी।
किन किसानों को मिलेगा लाभ?
इस योजना का लाभ उन सभी पंजीकृत किसानों को मिलेगा, जिन्होंने 1 अक्टूबर, 2024 से 31 जनवरी, 2025 के बीच अपनी सोयाबीन की फसल मंडियों में बेची है।
अधिकारियों के अनुसार, जिन किसानों ने इस अवधि के दौरान अपनी उपज बेची है, उनके डेटा का सत्यापन किया जा रहा है। प्रक्रिया पूरी होने के बाद, भावांतर की राशि सीधे उनके आधार-लिंक्ड बैंक खातों में जमा कर दी जाएगी। इसके लिए किसानों को अलग से कोई आवेदन करने की आवश्यकता नहीं होगी।
किसानों के लिए बड़ी राहत
मोहन यादव सरकार का यह फैसला राज्य के लाखों सोयाबीन उत्पादक किसानों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया है। सोयाबीन मध्य प्रदेश की प्रमुख खरीफ फसलों में से एक है और बड़ी संख्या में किसान इसकी खेती पर निर्भर हैं। बाजार में सही कीमत न मिलने से वे अक्सर निराश हो जाते थे। सरकार की इस पहल से उन्हें न केवल आर्थिक संबल मिलेगा, बल्कि भविष्य में खेती के लिए प्रोत्साहन भी मिलेगा।