MP में ‘दो बच्चों का कानून’ खत्म करने की तैयारी, RSS प्रमुख मोहन भागवत के बयान के बाद शिवराज सरकार का बड़ा कदम

मध्य प्रदेश में 21 साल पुराना ‘दो बच्चों का कानून’ जल्द ही खत्म हो सकता है। शिवराज सिंह चौहान सरकार इस नियम को निरस्त करने की तैयारी कर रही है, जिसके तहत 26 जनवरी 2001 के बाद दो से अधिक बच्चे होने पर व्यक्ति सरकारी नौकरी और स्थानीय निकाय चुनाव के लिए अपात्र हो जाता है।

सरकार का यह कदम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत के हालिया बयान के बाद आया है। भागवत ने नागपुर में विजयादशमी के अपने संबोधन में देश में जनसंख्या असंतुलन पर चिंता जताते हुए एक समग्र और समान जनसंख्या नीति की वकालत की थी।

क्या कहा था RSS प्रमुख ने?

मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा था कि जनसंख्या नियंत्रण के साथ-साथ पंथ आधारित जनसंख्या संतुलन भी एक महत्वपूर्ण विषय है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा, “जनसंख्या असंतुलन से भौगोलिक सीमाओं में बदलाव आता है।” उन्होंने चीन का उदाहरण देते हुए यह भी कहा था कि जो देश पहले जनसंख्या को बोझ मानते थे, वे अब इसे नियंत्रित करने के बाद चिंतित हैं।

आरएसएस प्रमुख ने घुसपैठ और धर्मांतरण को भी जनसंख्या असंतुलन का एक बड़ा कारण बताया और एक ऐसी नीति की जरूरत पर जोर दिया जो सभी पर समान रूप से लागू हो।

21 साल पुराना नियम बदलने की प्रक्रिया शुरू

सूत्रों के अनुसार, मध्य प्रदेश सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने ‘मध्य प्रदेश सिविल सेवा (सेवा की सामान्य शर्तें) नियम, 1961’ में संशोधन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसी नियम के तहत साल 2001 में दो बच्चों की नीति को जोड़ा गया था।

विभाग ने इस नियम को हटाने का प्रस्ताव तैयार कर लिया है और फाइल अंतिम निर्णय के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास भेज दी गई है। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद इस नियम को आधिकारिक तौर पर खत्म कर दिया जाएगा।

फैसले पर सियासत भी गरमाई

इस संभावित फैसले पर राज्य में राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस कदम का समर्थन किया है, जबकि कांग्रेस ने इसकी आलोचना की है।

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि संघ प्रमुख ने देश के हित में एक महत्वपूर्ण विषय उठाया है। सरकार उनके सुझावों पर गंभीरता से विचार कर रही है और जनसंख्या असंतुलन को ठीक करने के लिए जल्द ही उचित निर्णय लेगी।

वहीं, कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने इसे ‘तुगलकी फरमान’ करार दिया है। उन्होंने कहा, “भाजपा सरकार संविधान को बदलने की कोशिश कर रही है। उसे जनसंख्या की चिंता करने के बजाय महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए।”

अब सभी की निगाहें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अंतिम फैसले पर टिकी हैं। अगर यह नियम खत्म होता है, तो यह न केवल मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरियों की पात्रता को प्रभावित करेगा, बल्कि जनसंख्या नीति पर एक राष्ट्रीय बहस को भी जन्म दे सकता है।