MP Government Vehicle New Rules: अधिकारियों के लग्जरी कार रखने पर मोहन यादव का एक्शन, इतने लाख से ज्यादा की गाड़ी नहीं कर पाएंगे इस्तेमाल

MP Government Vehicle New Rules: मध्य प्रदेश सरकार ने सरकारी खर्चों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से अधिकारियों के लिए वाहन खरीद संबंधी नई गाइडलाइंस जारी की हैं। इन निर्देशों के तहत अब राज्य के अफसर अधिकतम 18 लाख रुपये तक की कीमत वाली गाड़ियों का ही उपयोग कर सकेंगे। इससे पहले अधिकारी 20 लाख से लेकर 35 लाख रुपये तक की महंगी गाड़ियों का इस्तेमाल करते थे। नई व्यवस्था का उद्देश्य प्रशासनिक खर्चों में कटौती कर सरकारी संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करना है।

नई गाइडलाइंस के तहत मध्य प्रदेश सरकार ने वरिष्ठ अधिकारियों के वाहन उपयोग की सीमा को और सख्त कर दिया है। अब कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक (एसपी) जैसे उच्च अधिकारी अधिकतम 10 लाख रुपये तक की गाड़ियों में ही सफर कर सकेंगे। वहीं, संभागायुक्त (कमिश्नर) के लिए 12 लाख रुपये तक की कार की सीमा तय की गई है। इसके अलावा, सचिव, प्रमुख सचिव (PS), अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) और मुख्य सचिव (CS) जैसे शीर्ष स्तर के अफसरों के लिए भी अधिकतम 12 लाख रुपये कीमत की गाड़ी की सीमा निर्धारित की गई है। इस कदम का उद्देश्य सरकारी खर्चों पर नियंत्रण रखना और राजकोषीय अनुशासन को मजबूत करना है।

फाइनेंस डिपार्टमेंट द्वारा जारी नए नियमों के अनुसार अब अधिकारियों को उनके ग्रेड के आधार पर ही सरकारी गाड़ियों की खरीद की अनुमति दी जाएगी। इस व्यवस्था में स्पष्ट कर दिया गया है कि किस ग्रेड के अधिकारी कितनी कीमत तक की गाड़ी उपयोग में ला सकते हैं। पहले जहां अफसरों को महंगी और लग्जरी गाड़ियां लेने की छूट थी, वहीं अब इस पर सख्ती बरती जा रही है ताकि सरकारी खर्चों को नियंत्रित किया जा सके और संसाधनों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित हो सके।

नई गाइडलाइंस के तहत मध्य प्रदेश सरकार ने सरकारी अफसरों के वाहन उपयोग को लेकर कई सख्त प्रावधान लागू किए हैं। अब अधिकारी केवल पेट्रोल, डीजल और CNG से चलने वाली गाड़ियों का ही उपयोग कर सकेंगे, जिससे पर्यावरण संरक्षण और कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने का प्रयास किया जाएगा। क्लास 2 और 3 अधिकारियों के लिए एक जैसी गाड़ियों का प्रावधान तय किया गया है, जिससे समानता और पारदर्शिता बनी रहे। इसके अलावा, अफसर अब पुराने वाहनों को बदलते समय निर्धारित गाइडलाइंस का पालन करेंगे। इन बदलावों का मकसद न केवल सरकारी खर्चों पर नियंत्रण पाना है, बल्कि सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग को रोकना और अफसरों की कार्यशैली में अनुशासन सुनिश्चित करना भी है।