भोपाल: मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार ने किसान संगठनों के भारी विरोध को देखते हुए एक बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने उज्जैन में एक नया शहर बसाने के लिए प्रस्तावित विवादास्पद लैंड पूलिंग पॉलिसी को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है। इस फैसले की घोषणा नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने मंगलवार देर रात सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर एक पोस्ट के जरिए की।
इस घोषणा के बाद उन हजारों किसानों ने राहत की सांस ली है जो पिछले कई हफ्तों से इस नीति के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे। सरकार के इस कदम को किसानों की बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है।
क्या थी लैंड पूलिंग पॉलिसी?
मोहन यादव सरकार ने उज्जैन के पास एक नया और आधुनिक शहर (सैटेलाइट सिटी) विकसित करने की योजना बनाई थी। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण करने के लिए ‘लैंड पूलिंग पॉलिसी’ का प्रस्ताव लाया गया था। इस नीति के तहत, सरकार किसानों से उनकी कृषि भूमि लेती और उसके बदले में उन्हें विकसित भूमि का एक हिस्सा देती। सरकार का तर्क था कि इससे बिना किसी भारी-भरकम मुआवजे के भूमि अधिग्रहण आसान हो जाएगा और किसानों को भी विकसित क्षेत्र में हिस्सेदारी मिलेगी।
किसानों को क्यों था ऐतराज?
हालांकि, उज्जैन और आसपास के कई गांवों के किसान इस नीति का पुरजोर विरोध कर रहे थे। किसानों का कहना था कि उनकी जमीनें बहुत उपजाऊ हैं और उनकी आजीविका पूरी तरह से खेती पर निर्भर है। उन्हें डर था कि लैंड पूलिंग के नाम पर उनकी बेशकीमती जमीनें छीन ली जाएंगी और बदले में जो विकसित प्लॉट मिलेगा, वह उनके लिए किसी काम का नहीं होगा।
किसानों का यह भी आरोप था कि सरकार उन्हें उचित मुआवजा दिए बिना उनकी जमीनें लेना चाहती है। कई किसान संगठनों ने इस नीति को किसान-विरोधी बताते हुए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी थी।
देर रात सोशल मीडिया पर ऐलान
किसानों के बढ़ते दबाव और विरोध को देखते हुए सरकार ने आखिरकार अपने कदम पीछे खींच लिए। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने मंगलवार देर रात ‘X’ पर पोस्ट कर इस फैसले की जानकारी दी। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा:
“उज्जैन में नई सिटी बसाने के लिए प्रस्तावित लैंड पूलिंग पालिसी किसानों के हित में नहीं होने से उसे निरस्त करने का निर्णय लिया गया है। हमारी सरकार किसान हितैषी सरकार है, किसानों की इच्छा के विरुद्ध कोई भी पालिसी लागू नहीं की जाएगी।” — कैलाश विजयवर्गीय, नगरीय विकास एवं आवास मंत्री
विजयवर्गीय के इस पोस्ट के बाद यह स्पष्ट हो गया कि सरकार अब इस नीति पर आगे नहीं बढ़ेगी। इस घोषणा ने किसानों के आंदोलन को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
सरकार का किसान-हितैषी संदेश
लैंड पूलिंग पॉलिसी वापस लेने का यह फैसला मोहन यादव सरकार की छवि को किसान-हितैषी बनाने की एक कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है। मंत्री विजयवर्गीय ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि सरकार किसानों के हितों को सर्वोपरि रखती है और उनकी इच्छा के बिना कोई भी नीति नहीं थोपी जाएगी। यह निर्णय दर्शाता है कि सरकार जनभावना और किसानों की आपत्तियों को लेकर संवेदनशील है। अब देखना यह होगा कि उज्जैन में नए शहर के विकास के लिए सरकार भविष्य में क्या वैकल्पिक योजना लेकर आती है।