मध्य प्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए उज्जैन में सिंहस्थ-2028 के लिए प्रस्तावित भू-अर्जन की योजनाओं को निरस्त कर दिया है। यह फैसला किसानों और साधु-संतों के लगातार विरोध के बाद आया है। मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में इस पर मुहर लगाई गई।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि केवल सिंहस्थ से जुड़ी योजनाएं रद्द की गई हैं, जबकि प्रदेश में ‘लैंड पूलिंग एक्ट’ यथावत लागू रहेगा। इस फैसले से उन हजारों किसानों को बड़ी राहत मिली है, जिनकी उपजाऊ भूमि इन योजनाओं के तहत अधिग्रहित की जानी थी।
किसानों और संतों के विरोध का असर
उज्जैन में सिंहस्थ-2028 की तैयारियों के तहत सरकार ने सैटेलाइट टाउन और एक नए शहर के विकास के लिए लगभग 2300 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण की योजना बनाई थी। इसके लिए लैंड पूलिंग नीति का सहारा लिया जा रहा था, जिसका स्थानीय किसान पुरजोर विरोध कर रहे थे। उनका कहना था कि उनकी कई पीढ़ियों की उपजाऊ जमीन इस योजना की भेंट चढ़ जाएगी। इस विरोध को साधु-संतों का भी समर्थन मिला, जिसके बाद यह एक बड़ा मुद्दा बन गया था।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, जो स्वयं उज्जैन से आते हैं, ने इस मामले की संवेदनशीलता को समझा। सरकार ने जनभावना का सम्मान करते हुए इन योजनाओं को रद्द करने का निर्णय लिया।
रद्द हुईं ये प्रमुख योजनाएं
कैबिनेट के निर्णय के अनुसार, उज्जैन महायोजना-2035 के तहत प्रस्तावित निम्नलिखित योजनाओं को निरस्त किया गया है:
1. उज्जैन के पास 1100 हेक्टेयर भूमि पर सैटेलाइट टाउन विकसित करने की योजना।
2. लगभग 1200 हेक्टेयर क्षेत्र में एक नया शहर बसाने की योजना।
3. महाकाल मंदिर से इंदौर-उज्जैन फोर-लेन तक सड़क चौड़ीकरण की योजना।
प्रदेश में जारी रहेगा लैंड पूलिंग एक्ट
सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बैठक के बाद मीडिया को जानकारी दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि लैंड पूलिंग एक्ट को खत्म नहीं किया गया है।
“सरकार ने किसानों और संतों की भावनाओं का सम्मान करते हुए उज्जैन की योजनाओं को निरस्त किया है। लेकिन लैंड पूलिंग एक्ट प्रदेश के अन्य शहरों में विकास कार्यों के लिए लागू रहेगा।” — कैलाश विजयवर्गीय, कैबिनेट मंत्री
उन्होंने कहा कि यह एक्ट शहरों के सुनियोजित विकास के लिए एक अच्छा कानून है, लेकिन उज्जैन में सिंहस्थ के नाम पर इसका विरोध हो रहा था। इसका मतलब है कि भविष्य में प्रदेश के दूसरे शहरों में जरूरत पड़ने पर सरकार इस एक्ट का उपयोग कर सकेगी। यह एक्ट जमीन मालिकों को उनकी जमीन के बदले विकसित भूखंड देने का प्रावधान करता है।