MP High Court: इंदौर के SC-ST आरक्षित वार्डों में नहीं होगा बदलाव, डिवीजन बेंच ने रद्द किया रोटेशन का आदेश

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने इंदौर नगर निगम के वार्ड आरक्षण को लेकर एक अहम और दूरगामी असर वाला फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) वर्गों के लिए आरक्षित वार्ड अब स्थायी रहेंगे। इसका मतलब यह है कि इन आरक्षित वार्डों में भविष्य में कोई रोटेशन या बदलाव नहीं किया जाएगा, जैसा कि अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के वार्डों में होता है।

राज्य सरकार की नीति को मिला समर्थन

यह मामला लगभग तीन साल पुराने एक सिंगल बेंच के आदेश से जुड़ा था, जिसमें यह कहा गया था कि SC-ST वर्ग के वार्डों में भी OBC की तरह रोटेशन होना चाहिए। राज्य सरकार ने इस पर आपत्ति जताते हुए तर्क दिया था कि आरक्षण तय करना सरकार का विशेषाधिकार है, और SC-ST वर्ग के वार्डों को स्थायी आरक्षण देना उसकी नीति का हिस्सा है। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने इस तर्क को स्वीकार करते हुए सिंगल बेंच का फैसला रद्द कर दिया।

अब केवल OBC वर्ग में होगा वार्डों का रोटेशन

हाईकोर्ट के इस निर्णय से यह साफ हो गया है कि अब वार्डों में आरक्षण का रोटेशन केवल अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए ही लागू होगा। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षित वार्ड अब फिक्स रहेंगे। इससे चुनावी राजनीति और सामाजिक प्रतिनिधित्व में स्थायित्व आएगा। साथ ही, इससे यह सुनिश्चित होगा कि वंचित वर्गों को लंबे समय तक स्थानीय शासन में प्रतिनिधित्व मिलता रहे।

वार्डवार आरक्षण सूची भी हुई स्पष्ट

इंदौर नगर निगम के 85 वार्डों की जो सूची 2020 में घोषित की गई थी, उसमें किस वर्ग और लिंग के लिए कौन-सा वार्ड आरक्षित है, यह भी हाईकोर्ट के फैसले के बाद पुनः स्पष्ट हो गया है। इसमें कई वार्ड अनुसूचित जाति पुरुष, महिला और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं। उदाहरण के तौर पर, वार्ड क्रमांक 18, 24, 26, 30, 35, 36, 45, 46, 47, 54, 59, 61, 76 जैसे वार्ड SC वर्ग के लिए, जबकि वार्ड क्रमांक 75, 77, 79 जैसे वार्ड ST वर्ग के लिए आरक्षित हैं।

राजनीतिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से अहम फैसला

यह फैसला राजनीतिक दृष्टिकोण से भी अहम माना जा रहा है। इससे स्थानीय निकाय चुनावों में स्पष्टता आएगी और भविष्य में आरक्षण से जुड़ी कानूनी और प्रशासनिक अड़चनें कम होंगी। साथ ही, यह निर्णय यह भी दर्शाता है कि सरकार की आरक्षण नीति को न्यायपालिका का समर्थन मिला है। अब SC-ST वर्ग को दी जा रही आरक्षण व्यवस्था पर कोई भ्रम या विवाद नहीं रहेगा।

वंचित वर्गों को मिलेगा स्थायी प्रतिनिधित्व

हाईकोर्ट के इस फैसले से इंदौर नगर निगम में अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के नागरिकों को स्थायी प्रतिनिधित्व मिलेगा। इससे न केवल सामाजिक न्याय को मजबूती मिलेगी बल्कि स्थानीय प्रशासन में स्थिरता और निष्पक्षता भी बनी रहेगी। यह निर्णय न केवल इंदौर बल्कि अन्य शहरी निकायों के लिए भी एक नज़ीर बन सकता है।