एमपी में उद्योगों से खुल रही रोजगार सृजित करने की राहें : CM Mohan Yadav

स्वतंत्र समय, भोपाल 
मुख्यमंत्री के रूप में डॉ. मोहन यादव ( CM Mohan Yadav) के एक साल पूरे होने पर उन्होंने एमपी में बढ़ते औद्योगिकीकरण की दिशा में कदम और सांस्कृतिक पुनर्जागरण के क्रम में श्रीराम वन गमन पथ, श्रीकृष्ण पाथेय जैसे कामों को लेकर सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा- प्रदेश में नवाचारी पहल करते हुए रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव और रोड शो के माध्यम से हर क्षेत्र के औद्योगिक विकास को बल दिया जा रहा है। अनेक प्रयास हमारी ऐतिहासिक धरोहर को नई ऊर्जा दे रहे हैं। यह समय आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रगति का है। मप्र की साढ़े आठ करोड़ जनता के सहयोग और संकल्प से हम आत्मनिर्भर प्रदेश का निर्माण करके विकसित भारत के निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए कृत संकल्पित हैं।

CM Mohan Yadav से हुई बातचीत के प्रस्तुत हैं अंश… 

प्रश्न- एक वर्ष की क्या बड़ी उपलब्धि मानते हैं?
हमने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विश्व का सबसे बड़ा नदी जोड़ो अभियान प्रारंभ करने का काम किया है। केन-बेतवा और पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना ऐतिहासिक निर्णय है। इससे बुंदेलखंड और चंबल अंचल में व्यापक परिवर्तन आएगा। खेती तो समृद्ध होगी ही, उद्योग-धंधों का विकास भी होगा। रोजगार के अवसर सृजित होंगे। साथ ही लोगों को पीने का पानी भी मिल सकेगा।
प्रश्न- युवाओं के लिए क्या तैयारी है?
युवाओं के लिए हम समान रूप से सभी क्षेत्र में काम कर रहे हैं। युवा जो इंजीनियरिंग, उच्च शिक्षा में दक्ष हैं, उसे आइटी से लेकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सहित अन्य क्षेत्रों से जोड़ रहे हैं। प्राइमरी, मिडिल, हाई और हायर सेकेंडरी वाले हैं और ग्रामीण या कृषि पृष्ठभूमि से आते हैं उन्हें कौशल विकास पर काम करते हुए विभिन्न उद्योगों में रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं।
प्रश्न- मोदी सरकार की झलक आपके कामकाज में दिखती है?
रोजगारपरक व्यवस्था से प्रधानमंत्री का हमेशा आग्रह रहता है। नवाचार और सुशासन होना चाहिए। इस व्यवस्था में कोई समझौता नहीं करना है। मैं भी उसी लाइन पर चलता हूं कि गलती किसी की है तो फिर छोटा-बड़ा का अंतर नहीं करना चाहिए। छोटे को नाप दो और बड़े को छोड़ दो, ऐसा नहीं होना चाहिए। समाज भी सब देखता है। हमारी नजर में दोनों बराबर हैं।
प्रश्न – आपकी छवि सनातन सरकार के रूप में बनती जा रही है?
 सनातन भी उसका हिस्सा है पर केवल धार्मिक कर्मकांड तक इसे सीमित नहीं रखना चाहिए। आर्य समाज भी सनातनी है, जो मूर्ति पूजा में विश्वास नहीं करता। सनातनी होना बुरा नहीं है, इसमें 33 करोड़ देवी-देवता आते हैं, यह हमारी जीवन पद्धति की एक आचार संहिता है। जीवन को अच्छी बातों से जोडक़र रखना आवश्यक है। जीवन पद्धति में बदलाव लाना भी सनातन का ही हिस्सा है। मैं तो स्वयंसेवक हूं, पार्टी ने काम दिया तो सरकार चला रहा हूं और इस नाते हमें जो काम मिल जाए, सच्चे भाव से करते हैं। अपना स्तर सामान्य रखकर बड़े से बड़ा काम करने का भाव रखते हैं। कर्म करके फल की इच्छा नहीं करते। हम यहां अपने सुख के लिए थोड़े ही हैं।
प्रश्न- कोई शौक ऐसा, जो व्यस्तता के कारण पूरा नहीं कर पाते हैं?
स्वाध्याय का शौक है। डायरी लिखता हूं। व्यायाम भी करता हूं। इनके लिए अब समय कम मिल पाता है। एतिहासिक और धार्मिक स्थलों पर जाने के लिए भी समय नहीं मिल पाता। जो मेरी सांस्कृतिक कल्पनाशीलता हैं और नवाचार करने की सोच है, उसे मेरे करने और दूसरे से कराने में जो अंतर आता है, उसके लिए अवश्य समय कम पड़ता है।
प्रश्न- परिवार आप से दूर रहता है। कमी खलती होगी?
मेरे साथ अच्छी बात यह रही है कि परिवार वाले शुरू से ही मुझे ऐसा ही देखते आए हैं। जब पर्यटन विकास निगम का अध्यक्ष था, उच्च शिक्षा मंत्री बना तो मेरे अंदर कोई परिवर्तन नहीं आया। परिवार ने सदैव साथ दिया और कहा कि आपका काम है, आप करिए। बच्चे भी हास्टल में रहते हैं।
प्रश्न- कौन सा काम पूरा नहीं कर पाए?
ऐसा तो नहीं है। आइडिया जो मन में थे, वो आते से ही प्रारंभ कर दिए। स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग को एक किया। कोई योजना बंद नहीं की। बजट दोगुना करने की दिशा में बढ़ रहे हैं। आचार संहिता में हमारे चार माह चले गए। 29 मेडिकल कॉलेज बनना थे, 30 प्रारंभ हो गए। एक वर्ष में 50 कर देंगे। जो सोचा है उस दिशा में चल रहे हैं।