मध्य प्रदेश के सोने की ईंटों वाले महल के बारे में सुना है, जो जबलपुर में स्थित है। ये न सिर्फ एक ऐतिहासिक धरोहर है , बल्कि इसके साथ जुड़ी रहस्यमयी कहानियाँ इसे ओर भी खास बनाती हैं। करीब 500 फीट ऊंचाई पर स्थित यह किला, अपनी अनोखी बनावट, वीरता की गाथाओं और छिपे खजाने की कहानियों के लिए प्रसिद्ध है।हम बात कर रहे मदन महल किले की।
इतिहास और मदन महल किला :
मदन महल किले का निर्माण 19वीं शताब्दी में हुआ था।इस किले का निर्माण गोंडवाना राज्य के शासक राजा मदन शाह ने करवाया था। उन्होंने इस किले को अपनी पत्नी वीरांगना रानी दुर्गावती के लिए बनवाया था। किले की बनावट इतनी मजबूत है कि यह भूकंप के झटकों को भी सहन कर सकता है। एक समय में यह किला शाही निवास हुआ करता था, जिसमे कई कमरे, तालाब, और गुप्त सुरंगें भी मौजूद थीं।
सोने की ईंटों की रहस्यमयी कथा
मदन महल से एक कहावत बहुत प्रसिद्ध है, जिस्मे कहा जाता है की “मदन महल की छांव में, दो टांगों के बीच, जमा गड़ी नौ लाख की, दो सोने की ईंट”।हालाँकि आज तक किसी को ये सोने की ईंटें नहीं मिली हैं, पर ये रहस्यमय कहानी आज भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है।
मदन महल की खासियत है इसकी ऊँचाई , इस किले की चोटी से पूरा जबलपुर शहर देखा जा सकता है। यहाँ एक वॉच टावर भी है जहाँ से दुश्मनों पर नजर रखी जाती थी। यह किला दो विशाल ग्रेनाइट की चट्टानों पर बना हुआ है, जो इसकी मजबूती को दर्शाता है।
12 रहस्यमयी गुफाएं :
किले में मौजूद 12 गुफाएं आज भी रहस्य बनी हुई हैं। इन गुफाओं में से एक का रास्ता शीतला माता मंदिर से भी जुड़ता है। कहा जाता है कि रानी दुर्गावती इन गुफाओं के ज़रिये किले में आया-जाया करती थीं। पर आज तक इन गुफाओं का कोई नक्शा नहीं मिला है।