MP News: मध्य प्रदेश के वन विभाग ने कर्मचारियों के वेतन से 165 करोड़ रुपये की वसूली के मामले में एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। इस आदेश के तहत, 1 जनवरी 2006 से 8 सितंबर 2014 के बीच भर्ती वन रक्षकों (फॉरेस्ट गार्ड) को वेतन के रूप में दी गई अतिरिक्त राशि अब नहीं वसूली जाएगी। इससे वन रक्षकों को खासी राहत मिली है।
इसके बजाय, यह राशि उन अधिकारियों से वसूली जाएगी जिन्होंने नियमों के विपरीत जाकर इन कर्मचारियों को अतिरिक्त वेतन स्वीकृत किया था। यह कदम वन विभाग द्वारा कर्मचारियों की वित्तीय स्थिति को सुधारने और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के उद्देश्य से उठाया गया है। मध्य प्रदेश के 6,592 फारेस्ट गार्ड के लिए एक बड़ी राहत की खबर आई है। वन विभाग ने इन कर्मचारियों के वेतन का पुनर्निर्धारण करने का फैसला किया है, जिसके साथ ही उन्हें दी गई अतिरिक्त राशि की वसूली भी टाल दी गई है।
अब, विभाग के लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी जिन्होंने गलत तरीके से पे-बैंड स्वीकृत किया था। इस फैसले से फारेस्ट गार्ड को दोहरी राहत मिली है—एक तो उनका वेतन पुनर्निर्धारित किया जा रहा है और दूसरी ओर, उनसे वसूली जाने वाली अतिरिक्त राशि अब नहीं ली जाएगी। यह कदम अधिकारियों की लापरवाही पर सख्त कार्रवाई को दर्शाता है।
मध्य प्रदेश के वन विभाग ने 13 नवंबर को 165 करोड़ रुपये की वसूली के मामले में नया आदेश जारी किया है। इस आदेश के तहत, वित्त विभाग के 31 मार्च 2016 के आदेश के अनुसार, वन रक्षकों को तयशुदा 5200 रुपये के बजाय 5680 रुपये पे-बैंड का लाभ मिल रहा था। विभाग ने इन कर्मचारियों के वेतन का पुनर्निर्धारण करने का आदेश दिया है। इस आदेश के मुताबिक, उन वन रक्षकों का वेतन फिर से निर्धारित किया जाएगा जिन्होंने इस अधिक पे-बैंड का लाभ लिया है, और उन्हें अधिक राशि की वसूली से बचा लिया गया है। अब, यह वसूली उन अधिकारियों से की जाएगी जिन्होंने गलत तरीके से पे-बैंड स्वीकृत किया था।
मध्य प्रदेश के वन विभाग ने 1 जनवरी 2006 से 8 सितंबर 2014 के बीच भर्ती हुए वन रक्षकों को दिए गए अतिरिक्त वेतन की ब्याज सहित वसूली के आदेश जारी किए थे, जिसकी कुल राशि 165 करोड़ रुपये थी। इस भारी भरकम रिकवरी का वन कर्मचारियों ने जोरदार विरोध किया था, जिसके बाद सरकार को अपनी स्थिति पर पुनर्विचार करना पड़ा और वह नरम पड़ी।
अब, वन विभाग ने 31 मार्च 2016 को वित्त विभाग के आदेश के आधार पर कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। नए निर्देश के अनुसार, उन अधिकारियों से वसूली की जाएगी जिन्होंने नियमों का उल्लंघन करते हुए वन रक्षकों को ज्यादा वेतन स्वीकृत किया। इसका मतलब यह है कि वन कर्मचारियों से अतिरिक्त राशि की वसूली नहीं की जाएगी, बल्कि यह राशि उन अधिकारियों से वसूल की जाएगी जिन्होंने गलत तरीके से पे-बैंड स्वीकृत किया था।