MP News: धार भोजशाला मामले में मुस्लिम पक्ष को सुप्रीम कोर्ट से झटका, सर्वे का आज दूसरा दिन, कैमरों से रखी जा रही निगरानी

MP News: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने शुक्रवार यानी 22 मार्च से मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल धार जिले में स्थित विवादास्पद भोजशाला/कमाल मौला मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण शुरू कर दिया है। वहीं आज यहां ASI का दूसरा दिन है। जानकारी के मुताबिक बता दें कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच के आदेश के बाद भोजशाला में ASI का सर्वे शुरू हो चूका है। यहां पर दिल्ली और भोपाल के अफसरों की टीम सर्वे कर रही है। इस दौरान भारी पुलिस बल भी तैनात है। साथ ही भारी पुलिस बल के साथ प्रशासनिक अमला मौके पर मौजूद है।

आज ASI के वकील हिमांशु जोशी, हिंदू पक्ष की तरफ से आशीष गोयल और गोपाल शर्मा सर्वे टीम के साथ भोजशाला में मौजूद हैं। इसके साथ ही कमाल मौलाना वेलफेयर सोसाइटी के समद खान भी भोजशाला में मौजूद हैं। वहीं खास बात तो यह है कि प्रशासन ने इस सर्वे को लेकर यहां पर प्रवेश के लिए रोक लगा दी है। करीब 60 कैमरों की सहायता से इस क्षेत्र की निगरानी की जा रही है। बीतें कल शुक्रवार होने से नमाज के बाद ASI ने सर्वे रोक दिया था। जिसके बाद आज फिर से काम शुरू कर दिया है।

हालांकि यह कदम हाई कोर्ट के आदेश के बाद उठाया गया है। वही हाई कोर्ट के आदेश को मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। जानकारी के मुताबिक बता दे उत्तर प्रदेश की ज्ञानवापी की तर्ज पर होने वाले इस सर्वे की रिपोर्ट एएसआई को 6 सप्ताह में न्यायालय को सौंपनी होगी। दरअसल, धार भोजशाला वह स्थान है, जहां पर मंगलवार को हिंदू पूजा करते हैं तो वहीं शुक्रवार को मुस्लिम समाज के लोग नमाज अदा करते हैं। वैसे तो इस स्थान पर प्रवेश करने के लिए एक रुपये का टिकट लेना होता है, लेकिन पूजा और नमाज के लिए यह नि:शुल्क है। इस मामले को लेकर हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने इंदौर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

उधर धार भोजशाला मामले में ASI सर्वे के खिलाफ मुस्लिम पक्ष पहुंचा सुप्रीम कोर्ट में सर्वे रोकने की मांग कर रहा है। एएसआइ भोजशाला स्थित हर चल-अचल वस्तु, दीवारें, खंभों, फर्श की जांच करेगा। जांच में अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल होगा। परिसर स्थित हर वस्तु की कार्बन डेटिंग पद्धति से जांच कर यह पता लगाया जाएगा कि वह कितनी पुरानी है। हाईकोर्ट ने भोजशाला का वैज्ञानिक सर्वे जीपीआर (ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार) व जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) से करने को कहा है। जीपीआर में लगे रडार से जमीन में छुपी वस्तुओं के विभिन्न स्तरों, रेखाओं और संरचनाओं का माप लेता है।