MP नर्सिंग एडमिशन: अब 40 परसेंटाइल अनिवार्य, आज पूरी होगी प्रक्रिया, 700 कॉलेजों पर पड़ेगा असर

भोपाल: मध्य प्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों में दाखिले को लेकर राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। अब प्रदेश के किसी भी सरकारी या निजी नर्सिंग कॉलेज में एडमिशन के लिए छात्रों को प्री-नर्सिंग सिलेक्शन टेस्ट (PNST) में कम से कम 40 परसेंटाइल अंक हासिल करने होंगे। चिकित्सा शिक्षा निदेशालय ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं और शैक्षणिक सत्र 2022-23 के लिए दाखिला प्रक्रिया 17 नवंबर तक पूरी करने के निर्देश दिए हैं।

यह कदम नर्सिंग शिक्षा में गुणवत्ता सुनिश्चित करने और पिछली अनियमितताओं को रोकने के लिए उठाया गया है। पहले, न्यूनतम अंकों की कोई बाध्यता नहीं थी, जिसके कारण शून्य या निगेटिव अंक पाने वाले छात्र भी निजी कॉलेजों में आसानी से दाखिला ले लेते थे। इस मामले में हाईकोर्ट द्वारा भी चिंता जताए जाने के बाद सरकार ने यह नया और सख्त नियम लागू किया है।

क्या है नया आदेश?

मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (MP Medical Science University) द्वारा जारी निर्देश के अनुसार, B.Sc नर्सिंग, M.Sc नर्सिंग और पोस्ट बेसिक B.Sc नर्सिंग पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए यह नियम तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। चिकित्सा शिक्षा निदेशालय (DME) ऑनलाइन काउंसलिंग के माध्यम से प्रवेश प्रक्रिया का संचालन कर रहा है।

अब केवल वही छात्र काउंसलिंग में भाग ले सकेंगे, जिन्होंने PNST परीक्षा में 40 परसेंटाइल या उससे अधिक अंक प्राप्त किए हैं। यह नियम प्रदेश के सभी सरकारी और निजी नर्सिंग कॉलेजों पर समान रूप से लागू होगा।

निजी कॉलेजों पर पड़ेगा बड़ा असर

इस नए नियम का सबसे ज्यादा असर प्रदेश के लगभग 700 निजी नर्सिंग कॉलेजों पर पड़ने की आशंका है। अब तक ये कॉलेज कम अंक वाले छात्रों को भी मैनेजमेंट कोटे या अन्य तरीकों से दाखिला दे देते थे, जिससे उनकी सीटें भर जाती थीं। 40 परसेंटाइल की अनिवार्यता के बाद बड़ी संख्या में सीटें खाली रह सकती हैं, खासकर उन कॉलेजों में जिनकी प्रतिष्ठा अच्छी नहीं है।

सरकार का मानना है कि इस फैसले से नर्सिंग दाखिलों में होने वाले फर्जीवाड़े पर रोक लगेगी और केवल योग्य छात्र ही नर्सिंग जैसे महत्वपूर्ण पेशे का हिस्सा बनेंगे। यह फैसला उस बहुचर्चित नर्सिंग घोटाले के बाद आया है, जिसमें बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां सामने आई थीं। नए नियम से उम्मीद है कि राज्य में नर्सिंग शिक्षा का स्तर सुधरेगा और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बेहतर और प्रशिक्षित पेशेवर तैयार हो सकेंगे।