MP Panchayat Sachiv Strike : मध्य प्रदेश के लगभग 23 हजार पंचायत सचिव आज से सात दिनों के सामूहिक अवकाश पर चले गए हैं। सचिवों का कहना है कि उन्हें पिछले तीन से चार महीने से वेतन नहीं मिला है, जिससे वे बेहद नाराज हैं। इसी के चलते उन्होंने वेतन भुगतान की मांग को लेकर सामूहिक अवकाश पर जाने का निर्णय लिया है। पंचायत सचिवों के अवकाश पर जाने से ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे अनेक कार्य प्रभावित हो सकते हैं, जिनमें मनरेगा, स्वच्छ भारत मिशन, पंचायत बैठकों सहित अन्य योजनाएं शामिल हैं। पंचायत सचिव संगठन ने सरकार को 25 मार्च तक का अल्टीमेटम दिया है। अगर इस अवधि तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तो वे 26 मार्च से लगातार सात दिनों की छुट्टी पर रहेंगे।
दरअसल, पंचायतों में सरकारी कामकाज को सुचारू रूप से संचालित करने की जिम्मेदारी पंचायत सचिवों पर होती है। प्रदेश की 23 हजार से अधिक पंचायतों में नियुक्त ये सचिव बीते कई महीनों से वेतन से वंचित हैं, जिससे उनमें गहरा असंतोष है। केवल वेतन ही नहीं, बल्कि शासकीय कर्मचारियों के समान सुविधाएं, अनुकंपा नियुक्ति सहित सात सूत्रीय मांगों को लेकर भी सचिव संगठन लंबे समय से संघर्ष कर रहा है। अब पंचायत सचिवों ने अपनी आवाज बुलंद करते हुए सरकार को 25 मार्च तक का अल्टीमेटम दिया है कि उनकी मांगों पर विचार किया जाए। संगठन का स्पष्ट कहना है कि यदि सरकार इस समय-सीमा में मांगें नहीं मानती, तो वे 26 मार्च से सात दिनों के लिए सामूहिक अवकाश पर जाएंगे और इसके बाद क्रमबद्ध हड़ताल की राह पकड़ेंगे।
पंचायत सचिवों की मुख्य मांगे इस प्रकार हैं:
1. नियमित वेतन भुगतान: हर महीने की 1 तारीख को वेतन दिए जाने के स्पष्ट आदेश जारी किए जाएं। वर्तमान में सचिवों को 3 से 4 महीने तक वेतन नहीं मिल पा रहा है, जिससे उन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
2. समयमान वेतनमान का लाभ: मुख्यमंत्री की घोषणा और आदेश जारी होने के 20 महीने बाद भी सचिवों को समयमान वेतनमान का लाभ नहीं मिला है। इसे तत्काल लागू किया जाए।
3. शासकीय कर्मचारी जैसी सुविधाएं: सचिवों को भी शासकीय कर्मचारियों के समान सभी सुविधाएं दी जाएं।
4. वेतन बजट में अलग प्रावधान: प्रदेश की 313 जनपद पंचायतों में से हर महीने लगभग 50% जनपदों में वेतन का संकट बना रहता है। इसे देखते हुए बजट में अलग से प्रावधान किया जाए।
5. सेवा काल की गणना: सचिवों के 5वें और 6ठवें वेतनमान में सेवा की गणना नियुक्ति की तिथि से की जाए।
6. अनुकंपा नियुक्तियां: पिछड़ा वर्ग और वंचित वर्ग के लंबित 100% अनुकंपा नियुक्तियां की जाएं।
7. संविलियन की मांग: पंचायत सचिवों की विभागीय संविलियन की मांग को भी शीघ्र पूरा किया जाए।
सचिवों का कहना है कि जब तक इन मांगों को सरकार पूरा नहीं करती, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।