MP Pensioners : सरकारी लापरवाही का शिकार हुए पेंशनर्स, 14 महीने से अटकी महंगाई राहत, एमपी हाईकोर्ट ने अधिकारी के खिलाफ जारी किया वारंट

MP Pensioners : मध्य प्रदेश के 5.50 लाख पेंशनरों को महंगाई राहत (डीआर) देने में 14 महीने की देरी का मामला अब हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। इस देरी की मुख्य वजह छत्तीसगढ़ सरकार से सहमति लेने में हुई प्रक्रिया संबंधी अड़चनें बताई जा रही हैं, जिसके चलते पेंशनरों को समय पर डीआर का लाभ नहीं मिल पाया। इस मामले में इंदौर हाईकोर्ट बेंच ने कड़ा रुख अपनाते हुए राज्य के वित्त विभाग के प्रमुख सचिव के खिलाफ पांच हजार रुपये का जमानती वारंट जारी किया है। कोर्ट ने 24 मार्च को हुई सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया। अदालत का यह सख्त रुख सरकार की जवाबदेही को दर्शाता है, जिससे उम्मीद की जा रही है कि पेंशनरों को जल्द ही राहत मिलेगी।

संयुक्त विभाग पेंशनर्स संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बालचंद्र वर्मा द्वारा दायर अवमानना याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें डीआर देने में हुई देरी का मुद्दा उठाया गया। वर्मा ने बताया कि राज्य सरकार ने 1 जनवरी 2023 से डीआर लागू करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार से सहमति मांगी थी, लेकिन छत्तीसगढ़ ने इसे 6 महीने बाद, यानी 1 जुलाई 2023 से मंजूरी दी। इसके बावजूद, जब 1 जुलाई 2023 से डीआर लागू करने की प्रक्रिया शुरू की गई, तो इसके लिए दोबारा छत्तीसगढ़ की सहमति मांगी गई, जिसे 1 मार्च 2024 से स्वीकृति दी गई। इस पूरी प्रक्रिया में हुई देरी के कारण पेंशनरों को महंगाई राहत (डीआर) का लाभ 14 महीने तक नहीं मिल पाया, जिससे हजारों पेंशनर्स आर्थिक रूप से प्रभावित हुए।

बालचंद्र वर्मा ने छत्तीसगढ़ के वित्त सचिव को पत्र लिखकर देरी के लिए जवाब मांगा, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। इसके बाद, उन्होंने इंदौर हाईकोर्ट बेंच में याचिका दायर की। 30 जुलाई 2024 को कोर्ट ने पेंशनरों के पक्ष में फैसला सुनाया, लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ने इसे लागू नहीं किया। मजबूर होकर, वर्मा ने 16 अक्टूबर 2024 को अवमानना याचिका दायर की। सुनवाई के दौरान, मध्य प्रदेश सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया, जिससे कोर्ट ने वित्त विभाग के प्रमुख सचिव के खिलाफ पांच हजार रुपये का जमानती वारंट जारी कर दिया। अब इस मामले की अगली सुनवाई 25 अप्रैल को होगी, जिसमें सरकार को अपना पक्ष रखना होगा।