सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश में प्राथमिक शिक्षक (वर्ग-3) के पदों पर नियुक्त हुए B.Ed. डिग्री धारकों को एक बड़ी राहत के साथ अंतिम चेतावनी दी है। अदालत ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि ऐसे सभी शिक्षकों को अगस्त 2024 तक राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) द्वारा मान्यता प्राप्त छह महीने का ब्रिज कोर्स अनिवार्य रूप से पूरा करना होगा। यदि वे ऐसा करने में विफल रहते हैं, तो उनकी नियुक्ति स्वतः ही रद्द मान ली जाएगी।
यह फैसला उन हजारों शिक्षकों के भविष्य से जुड़ा है, जिनकी नियुक्ति साल 2018 से 2022 के बीच हुई थी। ये शिक्षक B.Ed. योग्यता के आधार पर प्राथमिक कक्षाओं को पढ़ाने के लिए भर्ती किए गए थे। इस फैसले के बाद अब राज्य सरकार पर समय-सीमा के भीतर ब्रिज कोर्स आयोजित करने का दबाव बढ़ गया है।
क्या है पूरा मामला?
यह विवाद NCTE की 28 जून 2018 की उस अधिसूचना से शुरू हुआ था, जिसमें B.Ed. डिग्री धारकों को भी प्राथमिक शिक्षक बनने के योग्य माना गया था। हालांकि, इसमें शर्त यह थी कि नियुक्ति के दो साल के भीतर उन्हें छह महीने का ब्रिज कोर्स करना होगा। इस अधिसूचना को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, जिसने इसे रद्द कर दिया। बाद में 11 अगस्त 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने भी राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए B.Ed. धारकों को प्राथमिक शिक्षण के लिए अयोग्य قرار दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया था कि प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों को पढ़ाने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित D.El.Ed (डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन) धारक ही योग्य हैं। इस फैसले के बाद देश भर में B.Ed. डिग्री के आधार पर नियुक्त हुए शिक्षकों की नौकरी पर तलवार लटक गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों दिया यह मौका?
11 अगस्त 2023 के फैसले के बाद मध्य प्रदेश सरकार और प्रभावित शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उनकी दलील थी कि उनकी नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले हुई थी, इसलिए उन पर यह फैसला लागू नहीं होना चाहिए। इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने हाल ही में यह स्पष्टीकरण आदेश जारी किया।
अदालत ने माना कि चूंकि इन शिक्षकों की नियुक्ति उस समय के नियमों के तहत हुई थी, इसलिए उन्हें एक आखिरी मौका दिया जाना चाहिए। हालांकि, कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि यह केवल एकमुश्त राहत है और भविष्य की भर्तियों पर यह लागू नहीं होगा। कोर्ट ने NCTE और केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि अगस्त 2024 तक इन शिक्षकों के लिए ब्रिज कोर्स की व्यवस्था की जाए।
हजारों शिक्षकों के भविष्य पर संकट
सुप्रीम कोर्ट के इस अल्टीमेटम के बाद मध्य प्रदेश के हजारों प्राथमिक शिक्षकों का भविष्य दांव पर है। अगर राज्य सरकार और NCTE समय पर ब्रिज कोर्स आयोजित नहीं कर पाते हैं, तो इन शिक्षकों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है। यह फैसला एक नजीर बन गया है कि शिक्षक भर्ती में निर्धारित योग्यता और प्रशिक्षण मानदंडों का पालन कितना महत्वपूर्ण है। अब गेंद पूरी तरह से सरकार के पाले में है कि वह कितनी जल्दी इस निर्देश का पालन करती है।