MP Promotion: मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य के अधिकारियों और कर्मचारियों के प्रमोशन को लेकर एक अहम तुलनात्मक रिपोर्ट तैयार की है। यह रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की जाएगी ताकि यह बताया जा सके कि नई पदोन्नति नीति में आरक्षित (SC/ST) और अनारक्षित वर्गों के बीच कैसे संतुलन बैठाया गया है। सरकार का दावा है कि नए नियम सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों—एम. नागराज, बी.के. पवित्रा, और जरनैल सिंह केस—के आधार पर तैयार किए गए हैं।
मंत्रालय स्तर पर केवल आरक्षित वर्ग पर केंद्रित हुआ विचार
मंत्रालय स्तर की समीक्षा में पाया गया कि डिप्टी सेक्रेटरी के 14 रिक्त पदों के लिए 32 नामों पर विचार किया जाना चाहिए था। परंतु, मंत्रालय ने सिर्फ 12 अंडर सेक्रेटरी, जो सभी आरक्षित वर्ग से हैं, के नामों पर ही विचार कर लिया। यह सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के खिलाफ माना जा रहा है, क्योंकि निर्देशों के अनुसार सूची में आरक्षित और अनारक्षित दोनों वर्गों के नाम होने चाहिए थे।
नए और पुराने प्रमोशन सिस्टम में बड़ा अंतर
नई पदोन्नति प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। पहले आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों को ACR (Annual Confidential Report) में प्रत्येक वर्ष 1 बोनस अंक दिया जाता था, जिससे कुल 5 अंक की छूट मिलती थी। लेकिन अब यह छूट घटाकर केवल 1 अंक कर दी गई है। इससे मूल्यांकन में पारदर्शिता और समानता की दिशा में कदम माना जा रहा है।
‘विचारण सूची’ में सबको मिलेगा स्थान
नई व्यवस्था के अनुसार, प्रत्येक पद के लिए विचारणीय उम्मीदवारों की सूची में रिक्त पदों के दोगुने + 4 उम्मीदवारों को शामिल किया जाएगा। इसका उद्देश्य अनारक्षित वर्ग को भी प्रतिनिधित्व देना है, जिससे पदोन्नति प्रक्रिया में संतुलन सुनिश्चित हो सके।
प्रत्याप्त प्रतिनिधित्व पर होगी समीक्षा
सरकार ने पर्याप्त प्रतिनिधित्व का मूल्यांकन करने के लिए एक समिति का गठन किया है। यदि किसी कैडर में आरक्षित वर्ग का प्रतिनिधित्व पर्याप्त पाया जाता है, तो उस कैडर में आरक्षण को घटाया या पूरी तरह समाप्त भी किया जा सकता है। यह कदम सुप्रीम कोर्ट की ‘क्रीमी लेयर’ और ‘प्रत्याप्त प्रतिनिधित्व’ की अवधारणाओं पर आधारित है।
क्लास-1 पदों पर ‘मेरिट कम सीनियरिटी’ की नीति
क्लास-1 श्रेणी के पदों पर प्रमोशन के लिए Merit-cum-Seniority (योग्यता के बाद वरिष्ठता) का फार्मूला अपनाया गया है। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि योग्यतम उम्मीदवारों को वरीयता मिले, लेकिन वरिष्ठता को भी नजरअंदाज न किया जाए।
डीपीसी की स्थिति – छह कैडर में बैठकें हो चुकीं
सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने राज्य के छह कैडर में विभागीय पदोन्नति समिति (DPC) की बैठकें पूरी कर ली हैं। अब केवल आदेश जारी किए जाने बाकी हैं। इसी तरह राज्य निर्वाचन आयोग में भी दो पदों के लिए DPC हो चुकी है और उनके आदेश जारी कर दिए गए हैं।
लोक निर्माण विभाग में अधीक्षण यंत्रियों की कमी
लोक निर्माण विभाग (PWD) में चीफ इंजीनियर के 23 रिक्त पदों के लिए 50 अधिकारियों पर विचार किया जाना था। लेकिन विभाग में केवल 15 अधीक्षण यंत्री ही उपलब्ध हैं। ऐसे में सरकार ने सिर्फ उन्हीं 15 अधिकारियों पर प्रमोशन की तैयारी शुरू की है, जिससे रिक्त पदों की स्थिति स्पष्ट नहीं रह गई है।
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस को लेकर सरकार सतर्क
राज्य सरकार का प्रयास है कि हाईकोर्ट में पेश की जाने वाली यह तुलनात्मक रिपोर्ट सभी कानूनी मापदंडों को पूरा करे। सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के आधार पर बनाई गई इस नीति से सरकार यह दिखाना चाहती है कि उसने न केवल आरक्षण का ध्यान रखा है, बल्कि योग्यता, प्रतिनिधित्व और न्यायसंगत प्रक्रिया को भी प्राथमिकता दी है।