मध्य प्रदेश की नौकरशाही और कर्मचारी संगठनों की राजनीति में एक नया मोड़ आया है। प्रदेश में अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी कर्मचारी संघ (अजाक्स) की तर्ज पर अब एक नए संगठन ‘सजाक्स’ (SAPAKS – सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी कर्मचारी संस्था) का गठन किया गया है। यह नया संगठन सामान्य, अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और अल्पसंख्यक वर्ग के अधिकारियों और कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए काम करेगा।
इस नए संगठन के गठन का मुख्य उद्देश्य इन वर्गों के कर्मचारियों की समस्याओं को सरकार के सामने मजबूती से रखना है। दरअसल, लंबे समय से यह महसूस किया जा रहा था कि आरक्षित वर्ग के लिए अजाक्स जैसा मजबूत संगठन मौजूद है, लेकिन सामान्य, ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग के कर्मचारियों के लिए कोई ऐसा सशक्त मंच नहीं था जो उनकी बात प्रमुखता से उठा सके। इसी कमी को पूरा करने के लिए ‘सजाक्स’ की नींव रखी गई है।
अजाक्स के समानांतर खड़ा होगा सजाक्स
सजाक्स का गठन सीधे तौर पर अजाक्स (AJJAKS) के समानांतर एक शक्ति संतुलन बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। अजाक्स प्रदेश में अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के कर्मचारियों का सबसे प्रभावशाली संगठन माना जाता है। पदोन्नति में आरक्षण जैसे मुद्दों पर अजाक्स हमेशा मुखर रहा है। अब सजाक्स के माध्यम से सामान्य और ओबीसी वर्ग के कर्मचारी भी पदोन्नति, रोस्टर प्रणाली और अन्य सेवा शर्तों से जुड़े मुद्दों पर अपनी आवाज बुलंद कर सकेंगे।
संगठन का विस्तार और रणनीति
जानकारी के मुताबिक, सजाक्स ने अपने संगठन को जिला स्तर से लेकर ब्लॉक स्तर तक विस्तार देने की योजना बनाई है। इसके तहत सदस्यता अभियान चलाया जाएगा और जल्द ही कार्यकारिणी का गठन किया जाएगा। संगठन का प्रयास है कि प्रदेश के हर विभाग में अपनी पहुंच बनाई जाए ताकि किसी भी कर्मचारी के साथ अन्याय न हो।
सपाक्स से अलग है सजाक्स
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में पहले से ही ‘सपाक्स’ (SAPAKS) नाम का एक संगठन और राजनीतिक दल सक्रिय रहा है, जिसने एट्रोसिटी एक्ट और पदोन्नति में आरक्षण के विरोध में बड़ा आंदोलन खड़ा किया था। हालांकि, ‘सजाक्स’ का स्वरूप थोड़ा अलग बताया जा रहा है। यह मुख्य रूप से शासकीय सेवा में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों के कल्याण पर केंद्रित रहेगा। इसका उद्देश्य राजनीतिक न होकर प्रशासनिक और सेवा शर्तों से जुड़े मुद्दों को हल कराना है।
जानकारों का मानना है कि सजाक्स के गठन से प्रदेश की कर्मचारी राजनीति में नई सरगर्मी देखने को मिलेगी। अब सरकार को किसी भी नीतिगत फैसले, विशेषकर आरक्षण और पदोन्नति से जुड़े मामलों में दोनों पक्षों (अजाक्स और सजाक्स) के तर्कों को सुनना होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में यह संगठन कर्मचारियों के बीच कितनी पैठ बना पाता है।