MP Samvida Karmchari News: मध्यप्रदेश में संविदा कर्मियों के लिए काम की खबर, अब मिलेगा NPS का लाभ जल्द नियम होंगे तैयार

MP Samvida Karmchari News: मध्य प्रदेश विधानसभा में शुक्रवार को संविदा कर्मियों और आउटसोर्स कर्मचारियों की स्थिति को लेकर गंभीर चर्चा हुई। प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक नितेंद्र सिंह राठौर ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि संविदा पर काम करने वाले कर्मचारियों को भी स्थायी सरकारी कर्मचारियों जैसी सुविधाएं मिलनी चाहिए। उन्होंने बताया कि ये कर्मचारी बेहद कम वेतन पर कठिन परिस्थितियों में कार्य करते हैं, लेकिन सेवानिवृत्ति के बाद उनके पास कोई सामाजिक या आर्थिक सुरक्षा नहीं होती। विधायक राठौर ने सरकार से मांग की कि ऐसे कर्मचारियों के लिए स्थायी नीति बनाई जाए ताकि उन्हें सम्मानजनक जीवन मिल सके।

पिछड़ा वर्ग कल्याण राज्य मंत्री कृष्णा गौर ने विधानसभा में संविदा कर्मियों को राहत देने वाली बड़ी घोषणा की। उन्होंने कहा कि अब संविदा कर्मचारियों को भी राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) और ग्रेच्युटी का लाभ मिलेगा। मंत्री ने स्पष्ट किया कि संविदा नीति के तहत कार्यरत सभी कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद पेंशन और ग्रेच्युटी दी जाएगी। इस संबंध में वित्त विभाग जल्द ही आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करेगा, जिससे इन कर्मचारियों को भविष्य की सुरक्षा और आर्थिक स्थायित्व मिल सकेगा। मंत्री की इस घोषणा को संविदा कर्मियों के लिए बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है।

विधानसभा में विधायक दिनेश जैन ने आउटसोर्स कर्मचारियों के वेतन में हो रही असमानता का मुद्दा जोरदार तरीके से उठाया। उन्होंने कहा कि आउटसोर्स कंपनियों द्वारा कर्मचारियों को दी जाने वाली सैलरी और सरकार द्वारा उन्हीं कंपनियों को दी जाने वाली राशि के बीच बड़ा अंतर है। उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि यदि सरकार किसी कंपनी को प्रति कर्मचारी 18 हजार रुपए देती है, तो कंपनी उस कर्मचारी को केवल 13-14 हजार रुपए ही वेतन के रूप में देती है। इसके बाद उसमें से पीएफ की कटौती भी होती है, जिससे कर्मचारी के हाथ में और भी कम पैसा आता है। विधायक ने सरकार से आग्रह किया कि वह इस व्यवस्था पर कड़ी निगरानी रखे ताकि कंपनियां कर्मचारियों के नाम पर अनुचित लाभ न कमा सकें।

विधानसभा में महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने जबलपुर के पोषण पुनर्वास केंद्रों में बच्चों की मृत्यु के मुद्दे पर जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि वर्ष 2022-23 से 2024-25 तक तीन वर्षों में 0 से 5 वर्ष की आयु के कुल 7,233 बच्चों को कुपोषण से मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से केंद्रों में भर्ती किया गया। इनमें से 0 से 1 वर्ष के 1,280 और 0 से 5 वर्ष आयु वर्ग के 148 बच्चों की मृत्यु हुई। हालांकि, मंत्री ने स्पष्ट किया कि इन बच्चों की मृत्यु कुपोषण, निर्बलता या एनीमिया जैसी स्थितियों के कारण नहीं हुई, बल्कि इसके पीछे अन्य कारण थे। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि जबलपुर जिले में इस समय 4,686 आंगनवाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं, जिनमें से 37 कार्यकर्ता और 365 सहायिका पद रिक्त हैं।