MP विधानसभा सत्र: शिवराज सरकार ने पेश किया 26,816 करोड़ का अनुपूरक बजट, नई योजनाओं पर लगी रोक

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले शिवराज सिंह चौहान सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 26,816.63 करोड़ रुपये का दूसरा अनुपूरक बजट पेश किया है। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा द्वारा विधानसभा के विशेष सत्र में रखे गए इस बजट में सबसे अहम बात यह है कि इसमें किसी भी नई योजना के लिए कोई वित्तीय प्रावधान नहीं किया गया है। सरकार का पूरा जोर मौजूदा योजनाओं को पूरा करने और अनिवार्य देनदारियों को निपटाने पर है।

यह पंद्रहवीं विधानसभा का आखिरी सत्र है, जिसके बाद प्रदेश में चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। सरकार ने इस बजट के जरिए यह स्पष्ट संदेश दिया है कि वह कोई नई घोषणा करने के बजाय, पहले से चल रही परियोजनाओं और योजनाओं के लिए धन की कमी नहीं होने देगी। इस राशि का उपयोग मुख्य रूप से वेतन, पेंशन, ब्याज भुगतान और विभिन्न विभागों की जारी योजनाओं के लिए किया जाएगा।

प्रमुख विभागों को मिला बड़ा हिस्सा

अनुपूरक बजट में सबसे बड़ा हिस्सा ऊर्जा, नगरीय विकास और लोक निर्माण जैसे महत्वपूर्ण विभागों को मिला है। सरकार ने किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं को दी जाने वाली बिजली सब्सिडी को जारी रखने के लिए ऊर्जा विभाग को सर्वाधिक 6,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।

अन्य प्रमुख आवंटन इस प्रकार हैं:

  • नगरीय विकास एवं आवास: मेट्रो रेल, अमृत 2.0 और स्वच्छ भारत मिशन जैसी योजनाओं के लिए 4,500 करोड़ रुपये।
  • लोक निर्माण विभाग (PWD): सड़कों के निर्माण और रखरखाव के लिए 2,500 करोड़ रुपये।
  • किसान कल्याण एवं कृषि: फसल बीमा योजना के भुगतान के लिए 1,500 करोड़ रुपये।
  • पंचायत एवं ग्रामीण विकास: प्रधानमंत्री आवास योजना और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के लिए 1,200 करोड़ रुपये।
  • राजस्व विभाग: प्राकृतिक आपदाओं से राहत के लिए 1,000 करोड़ रुपये।
  • स्कूल शिक्षा: सीएम राइज स्कूल और अन्य योजनाओं के लिए 1,000 करोड़ रुपये।

इसके अलावा नर्मदा घाटी विकास के लिए 800 करोड़ और जल जीवन मिशन के तहत लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को 700 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

बजट का कुल आकार बढ़कर 3.43 लाख करोड़ हुआ

इस दूसरे अनुपूरक बजट के बाद प्रदेश के वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट का कुल आकार बढ़ गया है। सरकार ने मार्च में 3,14,025 करोड़ रुपये का मुख्य बजट पेश किया था। इसके बाद जुलाई में 2,536 करोड़ रुपये का पहला अनुपूरक बजट लाया गया था। अब 26,816 करोड़ के इस नए प्रावधान के साथ, प्रदेश का कुल बजट लगभग 3,43,377 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।

चुनावी साल में पुरानी योजनाओं पर ही फोकस

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सरकार का यह कदम एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। चुनाव से पहले नई घोषणाओं का अंबार लगाने के बजाय, सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि जो योजनाएं पहले से चल रही हैं, उनका लाभ सीधे जनता तक पहुंचे। इससे न केवल वित्तीय अनुशासन बना रहता है, बल्कि मतदाताओं के बीच यह संदेश भी जाता है कि सरकार अपने वादों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस बजट का मुख्य उद्देश्य मौजूदा वित्तीय जिम्मेदारियों को पूरा करना और विकास की गति को बनाए रखना है।