देश में कई अनोखे और एतिहासिक मंदिर हैं। यह मंदिर अपने स्थापत्य और अलग खूबी के कारण दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। मध्यप्रदेश में भी कुछ गणेश मंदिर ऐसे हैं जो दुनियाभर के लोगों की आस्था का केंद्र है। ऐसे ही आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां भगवान की प्रतिमा के श्रृंगार में करीब 15 दिन लग जाते हैं। इस मंदिर का नाम है बड़ा गणपति मंदिर। चलिए जानते हैं इसकी क्या विशेषताएं हैं और क्या इतिहास है।
इंदौर का बड़ा गणपति मंदिर विश्व विख्यात है। इंदौर का यह मंदिर मूर्ति के आकार के लिए जाना जाता है। इस मूर्ति को विश्व की प्राचीन मूर्तियों में विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा माना जाता है। इंदौर इस मंदिर की प्रतिमा इतनी ऊंची है कि चोला चढ़ाने के लिए सवा मन घी और सिंदूर का प्रयोग होता है। इतना ही नहीं सभी नदियों के जल का उपयोग इस मंदिर में किया जाता है। वहीं प्रतिमा का 15 दिन में पूरा होता है। ऐसे में साल भर में 4 बार प्रतिमा का श्रृंगार अनोखे रूप में किया जाता है। प्रतिमा का श्रृंगार करने के लिए करीब 12 से 15 लोगों की टीम लगती है। यहां साल में चार बार ही चोला चढ़ाया जाता है।
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खास बात ये है कि काशी, अयोध्या और अवंतिका के साथ मथुरा, घुड़साल, हाथीखाना और गौशाला की मिट्टी का इस्तेमाल कर इस प्रतिमा को बनाया गया है। इसके अलावा हीरा, पन्ना, पुखराज, मोती, माणिक के साथ ईंट, बालू, चूना और मेथी के दाने का भी इस्तेमाल प्रतिमा में किया गया। वहीं कान, हाथ और सूंड के लिए सोने और चांदी, तांबा और पैरों के लिए लोहे के सरियों का इस्तेमाल किया गया है।
यहां दूर-दूर से पर्यटक घूमने के लिए और भगवान गणेश के दर्शन करने के लिए आते हैं। ये मंदिर इंदौर के एयरपोर्ट से 3 किलोमीटर दूर है। इस मंदिर को बड़ा गणपति इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहां भगवान गणेश की प्रतिमा काफी बड़ी है। इसे एशिया में सबसे बड़ी प्रतिमा माना जाता है। क्योंकि यह 25 फुट ऊंची है। इस मंदिर का निर्माण उज्जैन के रहने वाले एक पंडित नारायण नहीं करवाया था।