MP Tourism: ऐतिहासिक बौद्ध संस्कृति को समेटे है मध्य प्रदेश, आप भी करें दीदार

MP Tourism: आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मध्यप्रदेश सुंदरता के मामले में जरा भी कम नहीं है। मप्र ये अपने भीतर कई नेचुरल चीजों को समाए हुए हैं। यहां पर दूर-दूर से टूरिस्ट घूमने के और छुट्टियां मनाने के लिए आते हैं। मध्यप्रदेश में बड़े-बड़े झरनों के साथ ही कई चर्चित हिल स्टेशन भी उपस्थित हैं जहां का नजारा एक बार में ही लोगों का मन मोह लेता है यहां पर हमेशा ही पर्यटकों की भीड़ देखने को मिलती है।

ऐसे में अगर आप भी मध्यप्रदेश घूमने का प्लान बना रहे हैं तो आज हम आपको मध्यप्रदेश की उन लोकप्रिय जगहों के विषय में बताने जा रहे हैं। जिनके बिना आपका सफर इनकंप्लीट माना जा सकता हैं। वैसे तो मध्यप्रदेश में देखने के लिए काफी कुछ है। लेकिन आज हम आपको प्रदेश के कुछ ऐसे विश्व प्रसिद्ध हिल स्टेशन के विषय में बताने जा रहे हैं। जो एक ही बार में आपका दिल जीत लेंगे। इन दिनों मध्यप्रदेश पर्यटकों की पहली पसंद बना हुआ है। यहां सबसे ज्यादा पर्यटक घूमने के लिए और एमपी को एक्स्प्लोर करने के लिए आ रहे हैं। आज हम आपको मध्य प्रदेश के कुछ ऐसे ऐतिहासिक स्थलों के बारे में बताने जा रहे हैं जो बौद्ध संस्कृति को समेटे हुए हैं।

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यहां लोगों को आत्मिक शांति की अनुभूति होती है। ऐसे में अगर आप ही मध्यप्रदेश घूमने आने का प्लान बना रहे हैं, तो एक बार जरूर इन ऐतिहासिक स्थलों का दीदार करें। यह जगह प्रकृति के बेहद करीब है। चलिए जानते हैं उनके बारे में –सांची स्तूप आका यह सुख सम्राट अशोक द्वारा निर्मित किया गया था। प्राचीन पत्थर की रचनाओं से इसे बनाया गया है। बताया जाता है कि इसी जगह पर अशोक के पुत्रों, राजा महिंदा और संघमित्रा, की शुरुआती शिक्षा संपन्न हुई थी।

मध्यप्रदेश के सांची से 25 किमी दूर सोनारी एक पर्यटक स्थल है जो बेहद प्रसिद्ध है। यहां दो बड़े और पांच छोटे स्तूपों स्थापित हैं। जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। इस जगह की खोज खोज सन 1850 में एक ब्रिटिशर ने की थी। ऐसे में एक ताबूत में पाया गया की वो अवशेष अलंकारों से सुसज्जित था। इस वजह से लंदन में विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय में उसे स्थापित किया गया।

यूनेस्को विश्व धरोहर सांची स्तूप से 9 किलोमीटर दूर स्थित सतधारा एक प्रसिद्ध स्थल है। ये भी बौद्ध संस्कृति से भरपूर है। यहां मौर्य और गुप्त काल से संबंधित बुद्ध के चित्र के साथ चित्रित स्तूप, चैत्य और चट्टान बनी हुई है। कहा जाता है कि ये भगवान बुद्ध के समर्पित शिष्य थे। यहां भी सबसे ज्यादा लोग घूमने के लिए आते हैं।