MP Tourism: 500 सालों तक कुएं में रखकर करनी पड़ी थी इस ज्योतिर्लिंग की सुरक्षा, इतिहास जानकर हो जाएंगे हैरान

MP Tourism : मध्यप्रदेश भारत के मध्य में स्थित शानदार पर्यटन स्थलों में से एक है। मध्य प्रदेश को भारत के दिल की धड़कन भी कहा जाता है। क्योंकि यहां के पर्यटन स्थल पर्यटकों का दिल चुरा लेते हैं। यहां पर प्रति वर्ष लाखों की संख्या में सैलानी प्रकृति की सुंदरता का दीदार करने आते हैं। भारत का सबसे कम आबादी वाला यह राज्य अपनी खूबसूरती से पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। ऐसे में यदि आप घूमने की योजना बना रहे हैं तो एक बार मध्य प्रदेश के इन शानदार पर्यटन स्थलों का दीदार अवश्य करें। मध्य प्रदेश में ऐसी कई जगह मौजूद है जो वीरों से जुड़ी हुई है और उनकी कहानी को बयां करती है। वहीं मध्यप्रदेश में कई ज्योतिर्लिंग भी मौजूद है। जिसे 500 सालों तक कुएं में रखकर इस ज्योतिर्लिंग की सुरक्षा की गई थी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक 1235 में दिल्ली के सुल्तान रहे इल्तुतमिश ने मंदिर को पूरी तरीके से ध्वस्त कर दिया था। ऐसे में गर्भगृह में विराजित स्वयंभू ज्योतिर्लिंग को बचाने के लिए इसे 550 सालों तक पास में बने हुए एक कुएं में रखा गया। औरंगजेब ने मंदिरों के टूटे-फूटे अवशेषों से यहां मस्जिद का निर्माण करवा दिया। तब भी जीर्ण शीर्ण अवस्था में मौजूद मंदिर में ही भगवान की पूजा की जाती रही। 22 नवंबर 1728 में जब राणोजी राव सिंधिया मुगलों को परास्त कर अवंतिका पहुंचे तो उन्होंने यहां बनी मस्जिद को गिराया और 1732 में फिर से मंदिर का निर्माण कर ज्योतिर्लिंग की स्थापना की गई। कोटितीर्थ कुंड से उन्होंने ही महाकाल ज्योतिर्लिंग को बाहर निकालकर मंदिर का निर्माण करवाया और 500 साल बाद फिर से सिंहस्थ का आयोजन शुरू किया गया।

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राजस्थान के राजा जयसिंह द्वितीय ने 1280 में महाकालेश्वर के शिखर पर सोने की परत चढ़ाने के साथ कोटि तीर्थ का निर्माण भी करवाया था। 1300 ईस्वी के दौरान रणथंबोर के राजा हमीर बाबा महाकाल के दर्शन करने के लिए पहुंचे और यहां की अवस्था देख उन्होंने विस्तारीकरण का काम करवाया। 1700 में जब मेवाड़ के राजा जगत सिंह उज्जैन पहुंचे तो उन्होंने यहां पर कई तरह के निर्माण कार्य करवाएं और इस तरह से समय-समय पर मंदिर का विस्तारीकरण होता गया। आज ये मंदिर ना सिर्फ देश बल्कि दुनियाभर में प्रसिद्ध है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां भगवान महाकाल का आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचते हैं। अनगिनत सालों का इतिहास अपने अंदर समेटे हुआ ये मंदिर अब आधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण है लेकिन यहां के माहोल में भक्तों को आज भी असीम शांति की अनुभूति होती है।

उज्जैन (Ujjain) में स्थित बाबा महाकालेश्वर का मंदिर (Mahakaleshwar Mandir) पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। 12 ज्योतिर्लिंगों में यह एकमात्र ऐसा शिवलिंग है जो दक्षिण मुखी है। यहां भगवान भोलेनाथ कालों के काल महाकाल के रूप में अपने भक्तों को दर्शन देते हैं। इस मंदिर से कई प्राचीन परंपराएं और रहस्य जुड़े हुए हैं।