MP Tourism: ग्वालियर का ये महल दुर्लभ वाद्य यंत्रों के खजाने से है भरा, खासियत जानकर हो जाएंगे हैरान

MP Tourism: आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मध्यप्रदेश सुंदरता के मामले में जरा भी कम नहीं है। मप्र ये अपने भीतर कई नेचुरल चीजों को समाए हुए हैं। यहां पर दूर-दूर से टूरिस्ट घूमने के और छुट्टियां मनाने के लिए आते हैं। मध्यप्रदेश में बड़े-बड़े झरनों के साथ ही कई चर्चित हिल स्टेशन भी उपस्थित हैं जहां का नजारा एक बार में ही लोगों का मन मोह लेता है यहां पर हमेशा ही पर्यटकों की भीड़ देखने को मिलती है।

ऐसे में अगर आप भी मध्यप्रदेश घूमने का प्लान बना रहे हैं तो आज हम आपको मध्यप्रदेश की उन लोकप्रिय जगहों के विषय में बताने जा रहे हैं। जिनके बिना आपका सफर इनकंप्लीट माना जा सकता हैं। वैसे तो मध्यप्रदेश में देखने के लिए काफी कुछ है। लेकिन आज हम आपको प्रदेश के कुछ ऐसे विश्व प्रसिद्ध हिल स्टेशन के विषय में बताने जा रहे हैं। जो एक ही बार में आपका दिल जीत लेंगे। आज हम आपको ग्वालियर के ऐसे महल के बारे में बताने जा रहे हैं जहां कई प्रकार के आधुनिक और दुर्लभ वाद्य यंत्र है।

लेकिन क्या आप जानते हैं पहले के वक्त में जब संगीत सुनने के लिए आज से ऐसी व्यवस्था नहीं हुआ करती थी? वह किस प्रकार से संगीत सुनते थे? नहीं जानते होंगे लेकिन अगर आप भी पहले के साधनों को और संगीत यंत्रों का खजाना देखना चाहते हैं तो ग्वालियर के दुर्ग स्थित गुजरी महल का दीदार जरूर करें।

Also Read – ओडिशा ट्रेन हादसे में अब तक 280 लोगों की मौत, 1000 से ज्यादा घायल, हादसे के बाद देशभर में BJP के कार्यक्रम रद्द

यह महल बेहद ही प्रसिद्ध है यहां दूर-दूर से पर्यटक घूमने के लिए और वाद्य यंत्रों का खजाना देखने के लिए आते हैं। इस ऐतिहासिक धरोहर में एक संग्रहालय में तैयार संगीत दरघा ले बेहद खूबसूरत है। यहां महारानी मृगनयनी महाना संगीतकार बैजू बावरा से संगीत की शिक्षा प्राप्त किया करती थी। खास बात यह है कि यहां पर ही संगीत की सभाओं का आयोजन किया जाता था। ऐसे में संगीत प्रेमी देश ही नहीं विदेशों से भी यहां आते हैं।

यहां आपको संगीत और ग्वालियर का कितना गहरा नाता है इसका समायोजन देखने को मिलता है। इस जगह पर संगीतकारों द्वारा दान की गई यंत्र भी रखे हुए है। जिन्हे दीर्घा में स्थान दिया गया है। अभी इस महल में पैरों से चलने वाला हारमोनियम रखा हुआ है। साथ ही दुर्लभ वाद्य यंत्र जैसे मृदंग, तानपुरी, स्वरमंडल, सारंगी, तबला, सितार, इकतारा, दिलरुबा, इसराज, सरोद, बांसुरी सहित कई संगीत यंत्र यहां मौजूद है। सैकड़ों वर्ष पहले लिखे गए ध्रुपद संगीत की तान आज भी गुजरी महल में मौजूद है।

यहां पर ही ध्रुपद गायन जैसे कई बड़े संगीत की रचना हुई है। आज हम आपको गुजरी महल में मौजूद दुर्लभ संगीत यंत्रों का खजाना बता रहे हैं। अगर आप भी संगीत प्रेमी है और मध्यप्रदेश घूमने आने का प्लान बना रहे हैं या फिर आ चुके हैं और कही अच्छी जगह जाना चाहते हैं तो गुजरी महल का दीदार जरूर करें।