भोपाल। अगर आप मध्य प्रदेश में सेकंड हैंड कार खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है। परिवहन विभाग ने पुरानी गाड़ियों की खरीद-फरोख्त की प्रक्रिया में बड़े बदलाव किए हैं। अब पुरानी कार खरीदते समय नाम ट्रांसफर और दस्तावेजों की जिम्मेदारी पूरी तरह से कार डीलर की होगी। इससे आम जनता को आरटीओ दफ्तर के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे और धोखाधड़ी की आशंका भी कम होगी।
अक्सर देखा गया है कि सेकंड हैंड कार बाजार में खरीदारों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कभी गाड़ी के दस्तावेज पूरे नहीं होते, तो कभी नाम ट्रांसफर में लंबा वक्त लग जाता है। कई बार डीलर गाड़ी बेचने के बाद जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं, जिससे खरीदार परेशान होते रहते हैं। इसी समस्या को देखते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने नियमों में संशोधन किया है।
अब ऑनलाइन होगी पूरी प्रक्रिया
नए नियमों के तहत, पुरानी गाड़ियों की बिक्री और खरीद की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए इसे ऑनलाइन कर दिया गया है। अब यह पूरा काम ‘वाहन’ पोर्टल और संबंधित मोबाइल ऐप के जरिए होगा। जब कोई व्यक्ति अपनी कार किसी डीलर को बेचेगा, तो डीलर को उस गाड़ी की जानकारी तुरंत पोर्टल पर अपडेट करनी होगी।
परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, अब गाड़ी के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) के नवीनीकरण, फिटनेस सर्टिफिकेट के नवीनीकरण और डुप्लीकेट आरसी बनवाने जैसे काम भी डीलर के माध्यम से ही किए जा सकेंगे। इसके लिए वाहन मालिकों को अलग से परेशान नहीं होना पड़ेगा।
डीलर को लेना होगा अधिकृत सर्टिफिकेट
इस नई व्यवस्था को लागू करने के लिए डीलर्स को भी दायरे में लाया गया है। अब सेकंड हैंड गाड़ियों का व्यापार करने वाले डीलर्स को आरटीओ से अधिकृत सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य होगा। बिना इस सर्टिफिकेट के वे गाड़ियों की खरीद-फरोख्त नहीं कर सकेंगे।
नियमों के मुताबिक, जब कोई कार मालिक अपनी गाड़ी डीलर को सौंपेगा, तो डीलर को उस गाड़ी को अपने कब्जे में लेने की सूचना ऑनलाइन देनी होगी। इसके बाद गाड़ी की सुरक्षा और दस्तावेजों की जिम्मेदारी डीलर की हो जाएगी। जब तक गाड़ी किसी नए ग्राहक को नहीं बिक जाती, तब तक उस गाड़ी का मालिक एक तरह से डीलर ही माना जाएगा (डीम्ड ओनर)।
धोखाधड़ी पर लगेगी लगाम
अक्सर ऐसा होता था कि गाड़ी बेचने के बाद भी नाम ट्रांसफर नहीं होता था और अगर उस गाड़ी से कोई दुर्घटना या अपराध हो जाता था, तो पुलिस पुराने मालिक के पास पहुंच जाती थी। नई व्यवस्था में यह समस्या खत्म हो जाएगी। जैसे ही डीलर गाड़ी लेगा, पुराने मालिक की जिम्मेदारी खत्म हो जाएगी।
इसके अलावा, गाड़ी की टेस्ट ड्राइव के दौरान होने वाली किसी भी घटना के लिए भी डीलर ही जिम्मेदार होगा। ट्रिप रजिस्टर मेंटेन करना भी अनिवार्य कर दिया गया है, जिसमें गाड़ी के उपयोग का पूरा ब्यौरा दर्ज होगा। यह कदम सेकंड हैंड कार मार्केट को संगठित करने और ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए उठाया गया है।
क्या कहते हैं नियम?
नए केंद्रीय मोटर यान नियमों के तहत, अब रजिस्टर्ड डीलर ही गाड़ियों के ट्रांसफर के लिए आवेदन कर सकेंगे। यह प्रक्रिया पूरी तरह से डिजिटल होगी, जिससे बिचौलियों की भूमिका खत्म हो जाएगी। जानकारों का मानना है कि इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि पुरानी कारों के बाजार में विश्वास भी बढ़ेगा।