MP Work Quality Council : CM अध्यक्ष फिर भी अफसर मूकदर्शक

रामानंद तिवारी, भोपाल

दो साल पहले मुख्य तकनीकी परीक्षक (सीटीई) को अधिक प्रभावी बनाने सीटीई को समाप्त करते हुए उसके स्थान पर मप्र कार्य गुणवत्ता परिषद् ( MP Work Quality Council ) का गठन 13 मई 2022 को किया था। गठन के बाद से ही परिषद दम दोड़ता हुआ नजर आ रहा है। गुणवत्ता पूर्ण तरीके से निर्माण कार्य कराने का दंभ ठोकने वाले अफसरों की पोल खुलती नजर आ रही है।

सीटीई खत्म कर बनाई थी MP Work Quality Council

जब निर्माण कार्यो की जांच एजेंसी ही ठप्प पड़ी हो तो निर्माण कार्यो की मानीटरिंग कैसे होगी। दिलचस्प पहलू यह है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने दो वर्ष पूर्व मुख्य तकनीकी परीक्षक (सीटीई ) को समाप्त करते हुए निर्माण कार्यो की मानीटरिंग को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से परिषद्का ( MP Work Quality Council ) गठन किया था। लेकिन गठन हुए दो वर्ष का समय बीत जाने के बाद भी निर्माण सामग्री की गुणवत्ता की जांच करने के लिए स्टॉफ ही नहीं है। परिषद का कार्य चुनिंदा स्टॉफ से करवाया जा रहा है। चूंकि शिवराज सरकार में पदस्थ जिम्मेदार अफसर सरकार सडक़ों के निर्माण में होने वाली गड़बड़ी, घटिया बिल्डिंग मटेरियल की जांच को मूर्तरूप नही दे सके, तो क्या मोहन सरकार उक्त गुणवत्ता परिषद के उडऩे के लिए पंख लगा सकेगी अथवा गुणवत्ता परिषद महज कागजों में ही सिमट कर रह जाएगी।

लाखों-करोड़ों के निर्माण कार्य गुणवत्ता विहीन

प्रदेश में हजारों-लाखों करोड़ों के निर्माण कार्य निर्माण से जुडेÞ विभागों द्वारा करवाए जा रहे है। इनमें मेडीकल कॉलेज,स्कूल हॉस्पिटल,हाइकोर्ट बिल्डिंग,सामुदायिक भवन के अलावा सडक़ों के निर्माण भी सरकार द्वारा करवाए जा रहे है। चूंकि निर्माण कार्यो की जांच करने वाली एजेंसी मुख्य तकनीकी परीक्षक सतर्कता दो वर्ष पूर्व सरकार ने समाप्त कर दी है। इसलिए गठित गुणवत्ता परिषद में अमले की कमी की वजह से इन निर्माण कार्यों की जांच भी नहीं हो पा रही है।

आईएएस अफसर को बनाया था महानिदेशक

मप्र कार्य गुणवत्ता परिषद के गठन पश्चात महज दो आईएएस अफसरों को अभी तक महानिदेशक बनाया गया है। इनमें एसीएस के पद से रिटायर हुए अशोक शाह के बाद मनीष सिंह को महानिदेशक बनाया गया, लेकिन नियुक्ति के तीन माह के भीतर ही मनीष सिंह चलते बने। वैसे गुणवत्ता परिषद को समाप्त करने का काम आईएएस अशोक शाह ने ही किया है। यहां एक ईएनसी, तीन चीफ इंजीनियर, छह अधीक्षण यंत्री, 12 कार्यपालन यंत्री और इतने ही सहायक यंत्री पदस्थ रहते थे। साथ ही 24 उपयंत्री भी कार्यरत रहे हैं। अब महज एक प्रभारी चीफ इंजीनियर कार्यरत हैं।