क्रिकेट, भारत में एक खेल से कहीं बढ़कर एक जुनून है। इस जुनून ने कई खिलाड़ियों को छोटे-छोटे शहरों से निकालकर अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचाया है। ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है मुंबई के डोंबिवली के Ravindra Sante की, जो अब इंग्लैंड में भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी करने के लिए तैयार हैं। यह कहानी मेहनत, लगन और सपनों को सच करने की जिद की है। आइए, जानते हैं रवींद्र संते के उस सफर को, जो डोंबिवली की गलियों से शुरू होकर लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान तक पहुंचा।
रवींद्र संते का जन्म मुंबई के उपनगर डोंबिवली में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। बचपन से ही क्रिकेट के प्रति उनका रुझान था। डोंबिवली के मैदानों में दोस्तों के साथ प्लास्टिक की गेंद से खेलते हुए रवींद्र ने क्रिकेट के गुर सीखे। उनके पिता एक छोटे व्यापारी थे, और परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वे रवींद्र को महंगे कोचिंग सेंटर भेज सकें। लेकिन रवींद्र की प्रतिभा और जुनून ने उन्हें कभी पीछे नहीं हटने दिया।
Ravindra Sante: रणजी ट्रॉफी से आईपीएल तक का संघर्ष
रणजी ट्रॉफी में रवींद्र ने अपनी ऑलराउंडर क्षमता से सबको प्रभावित किया। उनके लगातार अच्छे प्रदर्शन ने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के दरवाजे खोले। मुंबई इंडियंस ने उन्हें अपनी टीम में शामिल किया, जहां उन्होंने रोहित शर्मा और हार्दिक पंड्या जैसे दिग्गजों के साथ ड्रेसिंग रूम साझा किया। आईपीएल में उनके प्रदर्शन ने न केवल उनकी तकनीक को निखारा, बल्कि दबाव में खेलने की कला भी सिखाई।
भारतीय टीम में एंट्री और कप्तानी की जिम्मेदारी
रवींद्र संते की मेहनत तब रंग लाई जब उन्हें 2024 में भारतीय टी-20 टीम में डेब्यू करने का मौका मिला। अपने पहले ही मैच में उन्होंने नाबाद अर्धशतक जड़कर और दो महत्वपूर्ण विकेट लेकर अपनी उपयोगिता साबित की। उनकी नेतृत्व क्षमता को देखते हुए उन्हें भारत-ए टीम का कप्तान बनाया गया, जहां उन्होंने इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शानदार प्रदर्शन किया।
2025 में, जब भारतीय टीम को इंग्लैंड दौरे के लिए एक नए कप्तान की तलाश थी, रवींद्र संते का नाम सबसे आगे था।