Myanmar, Thailand Earthquake: शुक्रवार को म्यांमार और थाईलैंड में 7.7 तीव्रता के भीषण भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिससे कई इमारतें ढह गईं और 43 लोग लापता हो गए। भूकंप का असर बांग्लादेश तक हुआ, जहां 7.3 तीव्रता के झटके दर्ज किए गए। थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में इमरजेंसी लागू कर दी गई है, जबकि म्यांमार के मांडले शहर में एवा ब्रिज के ढहने की खबर है। राहत और बचाव कार्य जारी है, लेकिन नुकसान का पूरा आकलन अभी बाकी है।
म्यांमार और थाईलैंड में आए 7.7 तीव्रता के भूकंप का केंद्र म्यांमार के सगाइंग (Sagaing) क्षेत्र में रहा, जहां 7.0 तीव्रता के झटके दर्ज किए गए। इस भूकंप से मांडले शहर में इरावडी नदी पर बना ऐतिहासिक एवा ब्रिज ढह गया। इसके अलावा, कई बौद्ध मंदिर और ऐतिहासिक इमारतें भी क्षतिग्रस्त हो गईं। थाईलैंड और बांग्लादेश तक भूकंप का असर महसूस किया गया, जिससे लोगों में दहशत फैल गई।
भूकंप के कारण थाईलैंड के कई एयरपोर्ट पर उड़ानें रद्द कर दी गईं, और कई हिस्सों में बिजली आपूर्ति ठप हो गई। राजधानी बैंकॉक में एक बड़ा टावर ढह गया, जिसमें दर्जनों लोग मलबे में फंसे हुए हैं। हालात की गंभीरता को देखते हुए थाईलैंड के प्रधानमंत्री ने इमरजेंसी रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया है, और राहत एवं बचाव कार्य तेजी से जारी है। भूकंप का असर पड़ोसी देशों में भी महसूस किया गया। बांग्लादेश में 3 तीव्रता के हल्के झटके दर्ज किए गए, जिससे लोग घबराकर घरों से बाहर निकल आए। वहीं, भारत के मेघालय (गारो हिल्स) क्षेत्र में 0 तीव्रता का भूकंप आया, हालांकि इससे किसी तरह के नुकसान की सूचना नहीं मिली है।
नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, म्यांमार की राजधानी नेपीडॉ के पास 7.2 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया, जिसके झटके भारत तक महसूस किए गए। दिल्ली-एनसीआर में 15-20 सेकंड तक जमीन हिलती रही, जिससे घबराए लोग घरों और कार्यालयों से बाहर निकल आए।
सोशल मीडिया पर लोगों ने हिलते हुए पंखों और खिड़कियों के वीडियो साझा किए, जिससे भूकंप की तीव्रता का अंदाजा लगाया जा सकता है। इसी क्रम में, सोमवार सुबह 5:36 बजे दिल्ली-एनसीआर में 4.0 तीव्रता का एक और भूकंप आया, जिसका केंद्र नागलोई जाट के पास जमीन से 5 किलोमीटर नीचे था। भूकंप के झटकों से सोए हुए लोग जाग गए और कई सेकंड तक धरती हिलने के कारण दहशत में सड़कों पर आ गए। यहां तक कि सुबह के समय सड़क पर निकले वाहन चालकों ने भी भूकंप को स्पष्ट रूप से महसूस किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने म्यांमार और थाईलैंड में भूकंप से हुई तबाही पर गहरी चिंता जताई और कहा कि भारत हरसंभव सहायता के लिए तैयार है। इसको लेकर भारत सरकार ने विदेश मंत्रालय और आपदा प्रबंधन टीम को अलर्ट कर दिया है, ताकि जरूरत पड़ने पर तुरंत मदद पहुंचाई जा सके। भूकंप आने का मुख्य कारण धरती की टेक्टोनिक प्लेट्स का टकराना या खिसकना होता है। जब ये प्लेट्स अपनी जगह से हटती हैं, तो विशाल मात्रा में ऊर्जा निकलती है, जिससे जमीन हिलने लगती है। रिक्टर स्केल भूकंप की तीव्रता को मापने का एक पैमाना है, जो यह दर्शाता है कि झटके कितने हल्के या विनाशकारी हैं। रिक्टर स्केल पर तीव्रता जितनी अधिक होती है, भूकंप का प्रभाव उतना ही ज्यादा होता है।
अगले 24 घंटे में और झटकों की आशंका बनी हुई है। यूएस जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि आने वाले घंटों में और भूकंप के झटके महसूस किए जा सकते हैं। इस बीच, थाईलैंड और म्यांमार में राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहा है, लेकिन मलबे में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने की उम्मीद धीरे-धीरे कम होती जा रही है। स्थानीय प्रशासन और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां रेस्क्यू ऑपरेशन को प्राथमिकता देते हुए प्रभावित इलाकों में सहायता पहुंचाने में जुटी हैं।