रहस्य या विज्ञान! क्यों नहीं पड़ती जगन्नाथ मंदिर की छाया जमीन पर?

भारत के सबसे प्रसिद्ध और पवित्र तीर्थ स्थलों में शामिल जगन्नाथ पुरी मंदिर न केवल अपनी धार्मिक महत्ता के लिए जाना जाता है, बल्कि इसके पीछे छिपे कई रहस्यों के कारण भी यह विश्वभर में चर्चा का विषय बना रहता है। यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा को समर्पित है।

यहां हर दिन लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं, लेकिन इस भव्य मंदिर के साथ एक ऐसा रहस्य जुड़ा है जिसे आज तक कोई स्पष्ट रूप से समझ नहीं पाया है, और वह है इस मंदिर की परछाई का न दिखाई देना।

क्यों नहीं पड़ती जगन्नाथ मंदिर की छाया जमीन पर?

जगन्नाथ मंदिर के सबसे चौंकाने वाले तथ्यों में से एक है कि इसके शिखर की परछाई कभी नजर नहीं आती। मंदिर चाहे सुबह के समय हो या दोपहर की धूप में खड़ा हो, इसके आसपास या ज़मीन पर कोई स्पष्ट परछाई नहीं देखी जा सकती। यह रहस्य वैज्ञानिकों और श्रद्धालुओं दोनों के लिए एक जिज्ञासा का विषय बना हुआ है। धार्मिक आस्था रखने वाले लोग इसे दैवीय चमत्कार मानते हैं, जबकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह मंदिर की खास स्थापत्य शैली और डिज़ाइन का नतीजा बताया जाता है।

वास्तुकला का कमाल या चमत्कार?

विशेषज्ञों का मानना है कि मंदिर की बनावट और उसका भौगोलिक स्थान कुछ इस प्रकार तय किया गया है कि सूर्य की किरणें सीधे मंदिर के शिखर से टकराती हैं और छाया मंदिर की दीवारों या उसकी संरचना पर ही गिरती है। इस कारण वह जमीन पर नहीं पहुंचती और आंखों से परछाई दिखाई नहीं देती। यह एक अद्भुत वास्तुशिल्पीय रहस्य है जिसे आज भी पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है। मंदिर के चारों ओर खुला स्थान और विशेष कोण पर बनाया गया इसका शिखर इस प्रभाव को और भी बढ़ाता है।

वास्तव में बनती है छाया, पर अदृश्य

हालांकि कुछ विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि मंदिर की छाया वास्तव में बनती है, लेकिन यह इतनी सूक्ष्म होती है या मंदिर की दीवारों पर ही पड़ती है कि सामान्य दृष्टि से वह दिखाई नहीं देती। इसका अर्थ यह नहीं कि छाया नहीं बनती, बल्कि वह ज़मीन तक नहीं पहुंचती। यही कारण है कि लोगों को लगता है कि मंदिर की कोई छाया ही नहीं होती, जिससे यह मिथक और भी रहस्यमय हो गया है।

जगन्नाथ पुरी मंदिर न केवल एक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह अपने अद्वितीय रहस्यों और शिल्पकला के चलते भी प्रसिद्ध है। चाहे इसे कोई चमत्कार माने या विज्ञान की देन, परंतु यह स्पष्ट है कि यह मंदिर भारतीय संस्कृति, वास्तुकला और श्रद्धा का एक जीवंत प्रतीक है। यह रहस्य आज भी लाखों लोगों को मंदिर की ओर खींच लाता है और शायद यही इसे इतना विशेष और पूजनीय बनाता है।