हिंदू पंचांग के अनुसार नाग पंचमी 2025 में 29 जुलाई (मंगलवार) को मनाई जाएगी। पंचमी तिथि की शुरुआत 28 जुलाई की रात 11:24 बजे से हो जाएगी और यह तिथि 30 जुलाई की सुबह 12:46 बजे तक मान्य रहेगी। हालांकि उदया तिथि (जिसमें सूर्योदय पंचमी तिथि में हो) के अनुसार पर्व 29 जुलाई को ही मनाया जाएगा, यही तिथि शास्त्रसम्मत मानी जाती है।
नाग पंचमी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
नाग पंचमी का पर्व सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को आता है। इस दिन नाग देवता की पूजा करके उनसे जीवन में सुख, सुरक्षा और समृद्धि की कामना की जाती है। यह पर्व विशेष रूप से उन लोगों के लिए भी अहम है, जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष होता है। इस दोष से मुक्ति के लिए नाग पंचमी को विशेष रूप से उपयुक्त दिन माना गया है। भारत के कई राज्यों में नाग देवता की प्रतिमाओं की पूजा, व्रत-उपवास और मंदिरों में विशेष अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं।
नाग पंचमी पर बन रहे शुभ संयोग और ग्रह योग
इस वर्ष नाग पंचमी के दिन तीन विशेष योग बन रहे हैं –
1. शिव योग: भगवान शिव की कृपा का योग जो व्रत और पूजा को विशेष फलदायी बनाएगा।
2. रवि योग: यह योग रात्रि तक रहेगा और पूजा-पाठ, व्रत और दान के लिए उत्तम माना जाता है।
3. लक्ष्मी योग: यह धन और ऐश्वर्य से संबंधित कार्यों में सफलता दिलाने वाला योग है।
इन योगों की उपस्थिति इस पर्व को और अधिक शुभ और प्रभावशाली बनाती है।
क्या नाग की जगह सांप की कैंचुली की पूजा की जा सकती है?
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, यदि किसी स्थान पर जीवित नाग की पूजा संभव न हो, तो सांप की उतारी हुई ‘कैंचुली’ (खाल) का पूजन भी वैकल्पिक रूप से किया जा सकता है। कैंचुली प्रतीकात्मक रूप में नाग देवता का प्रतिनिधित्व करती है, और उसकी विधिवत पूजा से भी समान फल की प्राप्ति होती है। खासतौर पर कालसर्प दोष से राहत पाने के लिए यह उपाय उपयोगी माना गया है।
नाग पंचमी पर कैसे हुआ था यज्ञ रुकवाने का ऐतिहासिक प्रसंग?
महाभारत में वर्णन आता है कि राजा जन्मेजय ने अपने पिता परीक्षित की मृत्यु का बदला लेने के लिए नाग यज्ञ आरंभ किया था। इस यज्ञ में लाखों नाग अग्नि में आकर जलने लगे। तब एक ब्राह्मण आस्तिक मुनि ने उस यज्ञ को रोका और नागों की रक्षा की। यह घटना पंचमी तिथि को ही हुई थी, इसलिए इस दिन नागों की पूजा करके उनकी रक्षा का प्रतीक पर्व मनाया जाता है।
नाग पंचमी पर कालसर्प दोष निवारण उपाय
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प योग है, तो नाग पंचमी पर यह उपाय करना बेहद लाभकारी माना गया है:
• इस दिन काली मिट्टी या चाँदी से बने नाग-नागिन की जोड़ी की प्रतिमा बनाकर विधिपूर्वक पूजा करें।
• गाय के दूध से नाग देवता को स्नान कराएं, इससे परिवार में सर्प भय समाप्त होता है।
• शिवलिंग पर कच्चा दूध, जल, बेलपत्र, और काले तिल चढ़ाएं तथा “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
• पंचामृत से अभिषेक, फिर नाग मंत्रों का जाप करें –
“ॐ कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा” या “ॐ नमोऽस्तु सर्पेभ्यः”
पूजन विधि – स्कंद पुराण एवं भविष्य पुराण अनुसार
• पंचमी के दिन मिट्टी, चाँदी, लकड़ी या स्वर्ण से बने 5 फनों वाले नाग की प्रतिमा बनाकर पूजन करें।
• मुख्य द्वार के दोनों ओर गोबर से नाग की आकृति बनाएं।
• पूजा में दही, चावल, दूब (दुर्वा), कनेर, चमेली, चंपा के फूल, धूप-दीप, चंदन, और अक्षत चढ़ाएं।
• नाग देवता को दूध और घृत से स्नान कराएं, और अंत में उन्हें मोदक व खीर का भोग अर्पित करें।
• पूजा के उपरांत ब्राह्मणों को भोजन करवाना विशेष पुण्यदायक माना गया है।
नाग पंचमी का व्रत और नियम – क्या करें, क्या न करें
• नाग पंचमी के दिन भूमि पर हल या कोई खुदाई का कार्य न करें, इससे धरती में रहने वाले जीवों को हानि पहुंच सकती है।
• इस दिन सर्प या नाग की हत्या पूर्णतः वर्जित मानी जाती है।
• सिर्फ एक बार भोजन करें, और पंचमी तिथि को व्रत रखने वाले रात्रि में फलाहार करें या नक्त व्रत का पालन करें।
• काले रंग के वस्त्र पहनने से बचें, सफेद या पीले वस्त्र शुभ माने जाते हैं।