स्वतंत्र समय, भोपाल
नर्मदापुरम कलेक्टर सोनिया मीना ( Sonia Meena ) द्वारा सीधे हाईकोर्ट को पत्र लिखना महंगा पड़ सकता है। इस पर हाईकोर्ट जस्टिस जी एस अहलूवालिया ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए है कि कलेक्टर की इस गलती पर गंभीरता से कार्यवाही करें। मुख्य सचिव को एक माह के भीतर कार्यवाही की जानकारी कोर्ट को देने को कहा गया है। वहीं एकलपीठ ने नर्मदापुरम एडीएम और तहसीलदार की न्यायिक और मजिस्ट्रियल शक्तियां एक साल के लिए वापस लेने के भी निर्देश दिए हैं।
Sonia Meena पेशी पर नहीं पहुंची थी हाईकोर्ट
मामला जमीन संबंधी विवाद का है, जिसमें हाईकोर्ट और सर्वोच्च न्यायालय ने नामांतरण पर यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए थे। बावजूद इसके तहसीलदार ने बिना एमपीएलआरसी के तहत आवेदन किए, संपत्ति बंटवारे का आदेश जारी कर दिया। इस आदेश के खिलाफ अपील की सुनवाई में अतिरिक्त कलेक्टर ने भी तहसीलदार के आदेश को बरकरार रखा। इसके विरोध में हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। याचिका की सुनवाई के दौरान कलेक्टर सोनिया मीना को व्यक्तिगत रूप से तलब किया गया था। लेकिन वह कोर्ट नहीं गईं, बल्कि अतिरिक्त कलेक्टर के माध्यम से एक पत्र हाईकोर्ट को भेज दिया। इससे उनकी मुश्किलें बढऩे वाली है।
कलेक्टर तो सीएस को भी नहीं लिख सकते सीधे पत्र
शासकीय अधिवक्ता ने स्पष्ट किया कि कलेक्टर सीधे मुख्य सचिव को भी पत्र नहीं लिख सकते। इस पर जस्टिस अहलूवालिया ने अपने आदेश में कहा कि कलेक्टर की गलती पर मुख्य सचिव कार्रवाई करें और एक माह में इसकी जानकारी न्यायालय को दें।