नेशनल हेराल्ड केस: कोर्ट से राहत के बाद भोपाल में कांग्रेस का प्रदर्शन, जीतू पटवारी ने घेरा BJP दफ्तर

Bhopal News : नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गांधी परिवार और कांग्रेस नेतृत्व को बड़ी राहत मिली है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट द्वारा प्रवर्तन निदेशालय (ED) की चार्जशीट पर संज्ञान लेने से इनकार करने के बाद कांग्रेस कार्यकर्ता उत्साह में हैं।

इस फैसले के तुरंत बाद मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में सियासी पारा चढ़ गया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के नेतृत्व में बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कार्यालय का घेराव किया।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इस अदालती फैसले को ‘सत्य की जीत’ करार दिया है। प्रदर्शनकारी हाथों में तख्तियां लेकर बीजेपी सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए दफ्तर की ओर बढ़े। उनका आरोप है कि केंद्र सरकार केंद्रीय जांच एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्षी नेताओं को परेशान करने के लिए कर रही है।
कोर्ट ने क्यों खारिज की चार्जशीट?
राउज एवेन्यू कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि ED द्वारा दायर की गई चार्जशीट कानूनी कसौटी पर खरी नहीं उतरती। अदालत ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम (PMLA) की धारा 3 और 4 के तहत कार्रवाई तभी संभव है, जब मामले का आधार कोई वैध एफआईआर (FIR) हो।
चूंकि इस मामले में कोई पूर्व एफआईआर दर्ज नहीं थी, इसलिए अदालत ने माना कि मुकदमा चलाने का कोई ठोस आधार नहीं बनता। कोर्ट ने टिप्पणी की कि ED की दलीलें मौजूदा कानूनों के अनुरूप नहीं हैं। इसी तकनीकी आधार पर सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य आरोपी नेताओं के खिलाफ चार्जशीट को स्वीकार करने से मना कर दिया गया।
जीतू पटवारी का बीजेपी पर हमला
भोपाल में विरोध प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस नेताओं ने बीजेपी पर तीखा हमला बोला। जीतू पटवारी ने कहा कि बीजेपी ने विपक्षी नेताओं से बदला लेने की नीयत से यह पूरा षड्यंत्र रचा था, लेकिन आज अदालत ने उन्हें करारा जवाब दिया है।

“यह केवल कानूनी जीत नहीं है, बल्कि यह साबित करता है कि एजेंसियों का राजनीतिकरण किया गया था। न्यायपालिका ने स्पष्ट कर दिया है कि बिना आधार के बनाए गए केस टिक नहीं सकते।” — प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस नेतृत्व का बयान

प्रदर्शनकारियों का कहना था कि न्याय के पक्ष में खड़ा होना और राजनीतिक प्रतिशोध का विरोध करना उनका लोकतांत्रिक अधिकार है।
क्या है नेशनल हेराल्ड विवाद?
इस मामले की जड़ें साल 2012 से जुड़ी हैं। बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने एक निजी शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि कांग्रेस नेताओं ने ‘यंग इंडियन’ नामक कंपनी के जरिए ‘एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड’ (AJL) का अधिग्रहण किया और 90 करोड़ रुपये के ऋण का गलत तरीके से समायोजन कर संपत्तियों का लाभ उठाया।
ED ने इसी आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस बनाया था, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित कई वरिष्ठ नेताओं को नामजद किया गया था। हालांकि, अब कोर्ट के ताजा रुख से जांच एजेंसी की कार्रवाई पर सवालिया निशान लग गया है।