Navratri 2025 Day 3: नवरात्रि के तीसरे दिन होती है मां चंद्रघंटा की पूजा, जानें स्वरूप, स्तुति मंत्र और आराधना से मिलने वाले लाभ

नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के तृतीय रूप मां चंद्रघंटा की आराधना की जाती है। देवी का यह स्वरूप शक्ति, शांति और साहस का अद्भुत संगम है। उनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित रहता है, जिसके कारण उन्हें “चंद्रघंटा” कहा जाता है। मां सिंह पर सवार होकर दस भुजाओं में विभिन्न अस्त्र-शस्त्र धारण करती हैं। यह दिव्य रूप जहां भक्तों को निर्भय बनाता है, वहीं उनके करुणामय और सौम्य स्वरूप से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है।

साधना का महत्व और साधक पर प्रभाव

मां चंद्रघंटा की उपासना से साधक का मन मणिपुर चक्र में स्थित होकर आध्यात्मिक शक्ति का अनुभव करता है। इस साधना से व्यक्ति को अलौकिक ऊर्जा और दिव्य दृष्टि प्राप्त होती है। ऐसा माना जाता है कि मां की कृपा से साधक के शरीर से एक दिव्य आभा और प्रकाश का संचार होता है, जो न केवल उसे बल्कि उसके आसपास के लोगों को भी सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक शांति प्रदान करता है। इस उपासना से भय, संकट और नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं।

पूजा का महत्व और फल

मां चंद्रघंटा की आराधना करने वाले भक्त को दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ्य, धन-धान्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। उनके आशीर्वाद से पाप और बाधाएं नष्ट हो जाती हैं तथा जीवन में साहस, निर्भयता और संतुलन का विकास होता है। व्यक्ति के स्वभाव में कोमलता, विनम्रता और मधुरता बढ़ती है। इस पूजा से न केवल भौतिक सुख की प्राप्ति होती है, बल्कि मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति भी संभव होती है।

पूजा विधि और अर्पण सामग्री

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा के लिए प्रातःकाल स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें। इसके बाद देवी को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं और पंचामृत से अभिषेक करें। पूजा में फूल, अक्षत, कुमकुम, सिंदूर और धूप-दीप अर्पित करें। देवी को भोग में केसर-दूध से बनी खीर या मिठाई चढ़ाना शुभ माना जाता है। सफेद कमल, गुलाब और लाल गुड़हल के फूल चढ़ाने से मां शीघ्र प्रसन्न होती हैं। पूजा के समय श्रद्धा और भक्ति भाव से मां का ध्यान करते हुए मंत्रों का जाप करना अत्यंत फलदायी होता है।

मंत्र और स्तुति

मां चंद्रघंटा की आराधना के समय इन मंत्रों का जप करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है—
• “या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नमः।।”
• “पिंडजप्रवरारूढा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।”

इन मंत्रों के जप से साधक के जीवन में नकारात्मकता का नाश होता है और उसे दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है।