Navratri Ghatasthapana Muhurat: इस वर्ष अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा पर शारदीय नवरात्र का शुभारंभ गुरुवार को हस्त नक्षत्र और ऐंद्र योग की विशेष साक्षी में होगा। पंचांग की गणना के अनुसार, इस बार नवरात्र पूरे नौ दिनों तक चलेंगे, लेकिन तिथियों में घट-बढ़ होने के कारण अष्टमी और नवमी की पूजा एक ही दिन संपन्न होगी।
नवरात्र के दौरान घटस्थापना का विशेष महत्व है। अगर घटस्थापना शुभ योग में की जाती है, तो यह पर्वकाल अत्यधिक शुभ फल प्रदान करता है। इस वर्ष गुरुवार को हस्त नक्षत्र और ऐंद्र योग की उपस्थिति में घटस्थापना होगी, जो इसे और भी विशेष बनाती है। इस योग में विधि-विधान से की गई कलश या घट स्थापना राजकीय कार्यों और लक्ष्यों को सिद्ध करने में सहायक मानी जाती है। यह शुभ मुहूर्त न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि लाने में भी सहायक होता है।
यहाँ आपके द्वारा दिए गए विवरण के अनुसार, 3 से 12 अक्टूबर तक की तिथियाँ और पर्वों की जानकारी दी गई है
– 3 अक्टूबर (गुरुवार): प्रतिपदा
– 4 अक्टूबर (शुक्रवार): द्वितीया
– 5 अक्टूबर (शनिवार): तृतीया
– 6 अक्टूबर (रविवार): तृतीय उपरांत चतुर्थी
– 7 अक्टूबर (सोमवार): चतुर्थी उपरांत पंचमी
– 8 अक्टूबर (मंगलवार): छठ
– 9 अक्टूबर (बुधवार): दोपहर 12 बजे से सप्तमी
– 10 अक्टूबर (गुरुवार): दोपहर 12:30 बजे से अष्टमी
– 11 अक्टूबर (शुक्रवार): 12:22 तक अष्टमी उपरांत नवमी
– 12 अक्टूबर (शनिवार): सुबह 11 बजे तक नवमी, उसके बाद दशहरा
शारदीय नवरात्र के दौरान घट स्थापना के लिए मुहूर्त निम्नलिखित हैं
1. सुबह 6:30 से 8:00 बजे तक: शुभ का चौघड़िया
2. सुबह 10:50 से 12:20 बजे तक: अभिजीत
3. सुबह 11:00 से दोपहर 12:30 बजे तक: चंचल
4. दोपहर 12:30 से 2:00 बजे तक: लाभ
5. दोपहर 2:00 से 3:30 बजे तक: अमृत
6. शाम 5:00 से 6:30 बजे तक: शुभ अमृत बेला
इस बार नवरात्र का समय और पूजा के अवसर विशेष महत्व के हैं।
– नवरात्र: पूरे नौ दिन के होंगे।
– अष्टमी और नवमी की पूजा: एक ही दिन, यानी 12 अक्टूबर को होगी।
पंचांगीय गणना के अनुसार विशेष योग
– सर्वार्थसिद्धि योग: 5, 7, और 12 अक्टूबर को रहेगा।
– रवि योग: 5, 6, और 11 अक्टूबर को रहेगा।
इन विशेष योगों के कारण नवरात्र की पूजा और अधिक फलदायक और शुभ मानी जा रही है।