सोमवार, 29 सितंबर को शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन यानी सप्तमी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन माता कालरात्रि की पूजा होती है। देवी कालरात्रि दुर्गा माता का उग्र स्वरूप मानी जाती हैं, जो अंधकार और नकारात्मक शक्तियों को समाप्त करती हैं। कहा जाता है कि इस दिन उनकी विधिपूर्वक पूजा करने से सभी प्रकार के भय, संकट और नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं। साथ ही, भक्तों को अकाल मृत्यु का डर भी नहीं सताता और उन्हें साहस तथा आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है।
मां कालरात्रि को भोग अर्पित करने की परंपरा
सातवें दिन माता कालरात्रि को विशेष भोग अर्पित किया जाता है। उनका प्रिय भोग गुड़ और गुड़ से बने व्यंजन हैं, जैसे कि गुड़ की खीर, मालपुआ या अन्य गुड़ आधारित मिठाइयां। ऐसा माना जाता है कि गुड़ अर्पित करने से माता प्रसन्न होती हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस भोग अर्पण से उनके आशीर्वाद प्राप्त होते हैं और जीवन में सकारात्मकता बढ़ती है।
मां कालरात्रि के मंत्र और जाप
मां कालरात्रि की पूजा करते समय उनके मंत्र का जाप विशेष फलदायक माना जाता है। सप्तमी तिथि पर उनके मंत्र—“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नमः” और “ॐ कालरात्र्यै नमः”—जपने से भक्तों पर भय, नकारात्मक शक्तियों और बाधाओं का प्रभाव कम होता है। मंत्र जाप से मानसिक शक्ति, आत्मविश्वास और साहस का संचार होता है। इसलिए यह दिन आध्यात्मिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है।
मां कालरात्रि का प्रिय फूल और रंग
मां कालरात्रि को पूजा में चढ़ाने के लिए रातरानी और गुड़हल के फूल विशेष रूप से प्रिय माने जाते हैं। इन फूलों से पूजा चौकी को सजाने और देवी को अर्पित करने से उनका आशीर्वाद अधिक प्रभावी माना जाता है। इसके साथ ही, सप्तमी तिथि पर माता का प्रिय रंग—स्लेटी (ग्रे), कत्थई या नीला—धारण करना शुभ माना जाता है। इन रंगों को पहनने से बुराई का नाश होता है और शक्ति का संचार होता है।
मां कालरात्रि की पूजा विधि
सातवें दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना और स्वच्छ वस्त्र धारण करना अनिवार्य है। इसके बाद पूजा का संकल्प लें। एक साफ चौकी पर मां कालरात्रि की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें और काले रंग की चुनरी अर्पित करें। पूजा में रोली, अक्षत, हल्दी, चंदन, धूप, दीपक और पुष्प अर्पित करें। इसके बाद गुड़ या गुड़ से बनी मिठाई का भोग लगाएं। मंत्र जाप और पाठ—जैसे दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा—के बाद अंत में दीपक या कपूर से आरती करें। इस पूरे विधि से मां कालरात्रि की पूजा संपन्न होती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।