नवरात्रि के पावन पर्व पर शहर के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित सिल्वर ओक्स कॉलोनी में पिछले 35 वर्षों से आराधना गरबा मंडल मां शक्ति की उपासना का पर्व मना रहा है। इसी क्रम में नवमी पर महिषासुर मर्दिनी, मां काली आधारित नृत्य तथा गरबों के साथ सम्पन्न हुआ इस वर्ष का आयोजन।
इन कॉलोनियों की बालिकाएं करती है गरबा
हर वर्ष दुर्गा वाटिका में आयोजित होने वाले इस गरबा उत्सव की कई विशेषताएं होती हैं। यहां कॉलोनी के अलावा देवेंद्र नगर, प्रभु नगर, वैशाली नगर आदि से भी बच्चियां भाग लेने आती हैं और इनमें निचली बस्तियों के बच्चे भी शामिल हैं। यहां सभी का स्वागत होता है। पिछले तीन दशकों से अधिक समय से कीबोर्ड पर संगीत देते हैं इदरीस भाई और ढोल पर उनका साथ देते हैं भूरा भैया। इसके साथ ही यहां पूरे 9 दिनों आपसी सहयोग से गरबा करने वाले सभी बच्चों के लिए स्वल्पाहार और उपहारों की व्यवस्था की जाती है। इस वर्ष भी यहां हर दिन अलग तरह की सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गईं। इसमें तबला वादक श्रेया जोशी और उनकी टीम की बेहतरीन प्रस्तुति के साथ ही पल्लवी राव तथा उनकी टीम ने लोक नृत्य प्रस्तुत किया। नवमी को इस संस्था के सबसे खास आकर्षण महिषासुर मर्दिनी नाटक का मंचन किया गया, जिसे देखने बड़ी संख्या में दर्शक आए।
ऑफिस से आकर संभालते है व्यवस्थाएं
आराधना गरबा मंडल का संचालन एक टीम के हाथ में है, जिसमें ज्यादातर लोग प्राइवेट जॉब में हैं। वे सुबह साढ़े छह पर दफ्तर के लिए निकलते हैं और शाम 7 बजे वापस आते हैं। इसके बाद सीधे मां के दरबार की व्यवस्थाएं संभालने लगते हैं। टीम में शामिल हैं- ईशा शर्मा, अंजली पावगी, मोना नाहरगड़कर, हिना गुप्ता, कल्पना माहौरे, निरंजना व्यास, सुनीता शर्मा, प्रतिभा मिश्रा, प्रदीप जोशी, रविशंकर राव, दीपक गुप्ता, अनिल शर्मा, निर्मल मिश्रा, सचिन शर्मा, सुनील दांगी, कला राव तथा नंदिनी तिवारी।गरबा मंडल के संयोजक बताते हैं कि इस टीम में तीन से चार पीढ़ियों के लोग शामिल होकर अपने सामर्थ्य अनुसार सेवाएं देते हैं। कोई छोटा बड़ा नहीं। जिसको जो काम दिखता है, वह उसे करने में जुट जाता है। शायद यही कारण है कि हम हर वर्ष इस आयोजन को सम्पन्न कर पाते हैं।