स्वतंत्र समय, इंदौर
प्रदेश की शान जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम ( Nehru Stadium ) को लेकर बड़ा मामला उजागर हुआ है। इस स्टेडियम की जमीन इंदौर के सरकारी रिकॉर्ड से ही गायब हो गई है। सरकारी खसरे में जमीन का मालिक ढूंढे नहीं मिल रहा है। रिकॉर्ड नहीं मिलने से इस स्टेडियम में स्पोर्ट्स कांप्लेक्स बनाने का प्लान भी फिलहाल अटक गया है।
Nehru Stadium को तोड़कर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बनेगा
जानकारी के अनुसार लगातार जर्जर हो रहे स्टेडियम ( Nehru Stadium ) की बिल्डिंग तोड़कर यहां स्पोर्ट्स कांप्लेक्स बनाया जाना है। इसकी योजना पिछली सरकार में तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान की घोषणा पर बनी थी। यह पुनर्निर्माण करीब 500 करोड़ की लागत से नगर निगम द्वारा पीपीपी मॉडल पर किया जाना है। ताकि नया लुक देने के साथ ही स्टेडियम के एक हिस्से कामर्शियल इस्तेमाल करते हुए वहां स्पोर्ट्स से संबंधित सामग्री की दुकानें खोली जा सकें। मगर जैसे ही नगर निगम प्रशासन ने इस प्लान पर काम शुरू किया, उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। बताया जाता है कि काफी ढूंढने के बाद भी स्टेडियम की जमीन का मालिकाना हक और उपयोग से जुड़ा कोई रिकॉर्ड कलेक्ट्रेट में नहीं मिल रहा है। जबकि जमीन का सरकारी खसरे पर होना उसके मालिकाना हक और भू उपयोग को बताने के लिए जरूरी माना है। शहर के 61 साल पुराने 40 एकड़ में फैले नेहरू स्टेडियम और उसकी जमीन सरकारी खसरे यानी रिकॉर्ड में ही नहीं है। रेसीडेंसी क्षेत्र में स्थित इस स्टेडियम का निर्माण 61 साल पहले हुआ था। यहां कई अंतरर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच हुए। अभी भी यहां शहर में सबसे ज्यादा खेल गतिविधियां होती हैं, लेकिन बिल्डिंग के कई हिस्से खतरनाक हो चुके हैं। डेढ़ साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंदौर के स्थापना दिवस पर नेहरू स्टेडियम की नई बिल्डिंग की घोषणा की थी।
दो हिस्सों को जोडक़र बनेगा परिसर
इस स्टेडियम में खेल परिसर का रीकंस्ट्रक्शन करीब 500 करोड़ रुपए में होना है। इसके साथ छोटे नेहरू स्टेडियम की जमीन को भी जोडक़र विस्तृत रूप दिया जाएगा। परिसर के कामर्शियल इस्तेमाल के अलावा यहां खिलाडिय़ों के लिए अलग-अलग कमरे भी यहां बनाए जाना है। ताकि वे यहां रह भी सकेंगे। अभी स्टेडियम में खिलाडिय़ों के रुकने की कोई व्यवस्था नहीं है। हर बार अलग से इंतजाम करना पड़ते हैं।
रिकॉर्ड में दर्ज होने पर होगी आगे कार्रवाई
मेयर पुष्यमित्र भार्गव ने बताया कि हमने कंसल्टेंट नियुक्त किया था। स्टेडियम के पुनर्विकास की योजना भी बना ली गई, लेकिन स्टेडियम की जमीन सरकारी खसरे में नहीं है। प्रशासनिक अफसरों के संज्ञान में भी यह मामला आ गया है। सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज होने के बाद योजना पर आगे काम किया जाएगा।