कभी इतने बड़े ना बनो कि अपनों से दूर हो जाओ

राजेश राठौर – अधिकांश लोग लंबे संघर्ष के बाद किसी मुकाम को हासिल कर लेते है और कुछ लोग ऐसे परिवार में जन्म लेते हैं। जहां पहले से मुकाम हासिल होता है। इस तरह के लोगों के रिश्ते लगातार बनते जाते हैं। इन रिश्तों के कारण लोग व्यस्त भी हो जाते हैं। जो भी इस दौर से गुजरता है और तेजी से आगे बढ़ता है, लेकिन उनको निभाने की कला सब में नहीं होती और जो निभाना भी चाहते है। उनको वक्त की कमी लगती है। प्रैक्टिकल फंडे में हम आज आपको यह बताना चाहते हैं कि आप तेजी से प्रगति करें, लेकिन इस बात का ध्यान रखें जो संघर्ष के दिनों में अपने साथी थे। कहीं वह छूट तो नहीं गए। क्या अब उनसे लंबे समय तक बात नहीं हो पाती।

आधुनिक जमाने में तो पोस्टकार्ड की भी जरुरत नहीं है। सबके हाथ में मोबाइल है। उसके जरिए हम संदेश देख सकते हैं। कई बार इतना भी वक्त नहीं होता कि मोबाइल पर आने वाला संदेश भी पढ़ सके। खेर कोशिश होना चाहिए कि हम लगातार संपर्क में बने रहे। हम संपर्क में नहीं बने रहते हैं तो किस तरह की घटनाओं का सामना करना पड़ता है। इसका एक जीता जाता उदाहरण देता हूं। जिसका साक्षी भी में हूँ।

पिछले दिनों पुराने मित्र से शादी में मुलाकात हुई। उनकी बच्ची को देखा और उससे बात की थोड़ी देर में मैंने अपने मित्र से कि भाभी जी नहीं दिख रही तो कहने लगा कि वो नहीं रही अब इस दुनिया,में सुनकर सन रह गया कि जो मित्र पच्चीस साल से पुराना है। उसके परिवार के बारे में मुझे इतना भी पता नहीं चला कि उसकी पत्नी कब बीमार हो गई और इलाज के दौरान दुखद निधन भी हो गया। निधन के बाद कब अंतिम यात्रा निकली। उसका भी पता नहीं चला। जबकि उस मित्र से लगातार पहले मुलाकात होती थी। अभी कोराना काल के बाद से मुलाकात कम होने लगी बीच में एक बार बात हुई थी तब पता चला था कि मेरे मित्र की पत्ती का स्वास्थ ठीक नहीं है। पर तब उससे हाल चाल पूछे थे। इस 6 महीने से उससे मुलाकात नहीं हुई। न हीं कोई संदेश का आदान प्रदान हुआ। एक व्हाट्सएप ग्रुप में हम दोनों हैं, लेकिन सारे व्हाट्सएप ग्रुप देखना संभव नहीं हो पाया। इस कारण उस व्हाट्सएप ग्रुप में भाभी जी के निधन का समाचार भी नहीं पढ़ पाया। रोज सुबह से लेकर रात तक पत्रकरिता धर्म को निभाने के बीच अपनों के समाचार से एक पत्रकार कैसे दूर रह सकता है।

मुझे इस बात ने हिलाकर रख दिया। मैंने अपने मित्र से कहा माफी चाहता हूँ भाई मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई। मुझे पता ही नहीं चला में कुछ महीने से ज्यादा व्यस्त हो गया हूँ। इस कारण सारे व्हाट्सएप ग्रुप खोल कर पढ़ना संभव नहीं हो पा रहा है। मैंने अपने मित्र से कहा कि तुम्हें मुझे तो मैसेज करना था तो उसने कहा कि मैं समझा बाहर होंगे इसलिए आप नहीं आए। मैंने उससे फिर माफी मांगी और कहा कि भाई गलती हो गई। मैं इस घटना को जीवन में कभी नहीं भूल सकता। जब आप तेजी से आगे बढ़ते हो तो लगातार संपर्क बड़ जाते है। उसके कारण कई बार अपनों से दूरी हो जाती है। किसी के सुख में हम भले ही शामिल ना हो, लेकिन दुख में शामिल ना हो और वह भी अपने बरसो पुराने मित्र के इससे बड़ी दुर्भाग्य की बात और क्या हो सकती है।

मैं यह लिखकर ये नहीं बताना चाहता कि मैं अब बहुत व्यस्त हो गया हूं, लेकिन मैं सिर्फ यह बताना चाहता हूं कि मैं लगातार दौड़ भाग की जिंदगी में शामिल होकर अपनों से दूर हो गया हूं। ऐसा आपके साथ न हो कि इसकी सावधानी आपको रखना चाहिए। क्योंकि मैं यह बात कहता हूं कि भीड़ हमारी दुख को साथी नहीं होती। सुख का साथी होती है। आप इस बात को भी अजमा कर देख लेना की जब आप किसी भोजन भंडारे का आयोजन करते हैं। तो सब लोग दौड़े चले आते हैं, लेकिन यदि आपके परिवार में कोई बीमार हैं। या कोई नहीं रहा तो उस दिन कितने लोग आते हैं। इससे पता चल जाता है कि आपके वास्तविक रिश्ते कितने लोगों से हैं। हर व्यक्ति आज की तारीख में व्यस्त है सबके अपने अपने काम हैं। सबकी अपनी-अपनी समस्याएं हैं, और सबका अपना जीवन जीने का तरीका भी है। लेकिन क्या इन सब के बीच यह सोचने वाली बात नहीं है कि जो पुराने हैं उनका साथ हमें नहीं छोड़ना चाहिए।

आखिर ऐसा क्यों हुआ कि मुझे अपने मित्र की पत्नी के निधन का समाचार भी नहीं मिल पाया। इसके दो कारण पता चले एक तो मेरे मित्रों ने भी मुझे नहीं बताया। यह समझ कर उसको तो पता चल गया होगा, बाहर होगा। इसलिए बाद में अलग से घर मिलने चला गया होगा। मैने इस घटना के बाद कुछ मित्रों को फोन भी लगाया। उनसे नाराजगी भी व्यक्त की पर अब मैं क्या कर सकता था जो होना था, वह तो हो गया। इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि भीड़ के चार में कभी ना पड़े। जो हमारे चंद लोग हैं वही हमारे असली दुख के साथी हैं। सुख में हमें इस बात को अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए कि कौन बहुत जरुरी है और कौन गैरजरुरी। हमें किसे कितना वक्त देना चाहिए और कितना नहीं। प्रैक्टिकल फंडा आपको कैसा लगा कृपया अपनी प्रतिक्रिया जरूर दीजिए।

अब फिर मुलाकात होगी अगले रविवार को

हिंदुस्तान जिंदाबाद….