नई गाड़ी , नई सवारी ले रही नई रफ्तार…दो बरस की हो गई अपनी नगर सरकार…

नई गाड़ी , नई सवारी ले रही नई रफ्तार…दो बरस की हो गई अपनी नगर सरकार…पहली बार नए चेहरों पर दांव…बहती नदियों में चला दी कागज की नांव…सरल , सहज , नेक व ईमानदार पर कर भरोसा…पार्टी की ख्याति पर सत्ता पाने हेतु प्रत्याशियों को परोसा…जीत की जश्नवादियों में जलसों का सैलाब उठा…पूर्ण बहुमत से महापौर बने नई टीम बिठा…प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक नगर का प्रथम नागरिक खूबसूरत युवा बना…शहरवासियों का सीना अपने मत के सदुपयोग पर तना…राजनीति के मैदान में नई चहलकदमी का अनुभव लेकर…महापौर दौड़ रहे थे इधर उधर…बड़ी बारीकी से पहले शहर के मिज़ाज़ का अध्ययन किया…फिर अपनी टीम में भी नौजवान ऊर्जावान किरदारों का चयन किया…काम का रोडमेप तैयार किया…पहले तीन महीने में क्या करना है इसका इजहार किया…बाधाओं की कुटिल राजनीति भी उनके इरादों को रोक नहीं पाई…प्रशासकीय विपरीत हुक्मरानों की कोई हरकत उनको टोक नहीं पाई…पहला साल मित्र अनुष्ठान के अनेक उजले पहलुओं के साथ बिता…नव प्रकल्पों का इस दौरान शुभारम्भ कर काटा गया फीता…समाज को जोड़ने और संस्कृति के संरक्षण हेतु अभियान शुरू किये गए…समस्याओं से मुक्ति हेतु अपने साथियों की टीम को संकल्प दिए गए…पहली बारिश में छाता लेकर निकल पड़े जलजमाव वाली बस्तियों में…मौके पर ही अधिकारियों को कर निर्देशित सामान ढो लिया कश्तियों में…इरादे दृढ़ , दृष्टि प्रबल और सोच उच्च थी पुष्यमित्र की…मन के उदात्त वेग में आकार ले रही थी भावना शहर के विकसित चित्र की…कुछ काम किये सम्पन्न कुछ हैं पाइप लाइन में…कर्म हौसलों से पूर्ण होता है क्या रखा कागजों पर साइन में…नेक , ईमानदार और काबिल मुखिया मिला नगर को जो समन्वय की राह पर है…उसके व्यक्तित्व का आभामंडल और स्वभाव दिखता उसकी चाह पर है…कुछ ने काम करने नहीं दिया कुछ होने नहीं देना चाहते थे सबको रस्ते लगाया…कुम्भकर्णी नींद में सोए हुए अधिकारी कर्मचारियों को जगाया…लोग सोचते थे दो कदम नहीं चल पाएगा उनको दो साल के लंबे कामों का परिणाम दिया…विघ्न संतोषियों को अपने कुशल व दक्ष प्रशासन का सफल पैगाम दिया…आगे उम्मीद है इस युवा होनहार प्रथम नागरिक से विकास की गंगौत्री प्रवाहित हो…शहर के वातावरण में सुखद अनुभूति समाहित हो…आप भी छुए तरक्की का आसमान…मुट्ठी में हो ये सारा जहान…पैगाम वो देकर नगर का उत्थान करना जिसमें कुछ हटकर नई बात हो…हौसलों को मिले पंख और शिखर छूते जज़्बात हो।