मध्यप्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने कहा है कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों से पांचवीं कक्षा पास करने वाले बच्चों का छठवीं कक्षा में प्रवेश सुनिश्चित करना अब संबंधित स्कूल के हेड मास्टर की जिम्मेदारी होगी। मंत्री ने स्पष्ट किया कि इसका उद्देश्य ड्रॉपआउट दर को कम करना और शिक्षा की निरंतरता बनाए रखना है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति के तहत सरकारी स्कूलों में नर्सरी कक्षाएं शुरू करने का भी प्रावधान किया जा रहा है, ताकि बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा के लिए बेहतर वातावरण मिल सके और उनकी नींव मजबूत हो।
स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने बताया कि अब सरकारी स्कूलों में भी नर्सरी कक्षाएं शुरू की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि अभी तक सरकारी स्कूलों में छह साल के बच्चों को पहली कक्षा में प्रवेश दिया जाता था, जबकि लोग चाहते हैं कि बच्चे पहले नर्सरी में जाएं। नई शिक्षा नीति के तहत इस सोच में बदलाव लाया गया है। इसी के तहत प्रदेश के 5 हजार से अधिक सरकारी स्कूलों में नर्सरी कक्षाएं शुरू की गई हैं, और आगे इसे और विस्तार दिया जाएगा। साथ ही एडमिशन की प्रक्रिया में भी बदलाव किया जा रहा है, ताकि शिक्षा व्यवस्था को और बेहतर बनाया जा सके।
मध्यप्रदेश में 1 अप्रैल से प्रदेशव्यापी प्रवेश उत्सव अभियान की शुरुआत होगी। इस अभियान के तहत सभी जिलों में सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ाने के उद्देश्य से बच्चों और उनके अभिभावकों से संवाद किया जाएगा। स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने बताया कि इस अभियान में मुख्यमंत्री, मंत्रीगण, विधायक और अन्य जनप्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाएगा। सभी जनप्रतिनिधि स्थानीय स्तर पर स्कूलों का दौरा करेंगे और बच्चों को सरकारी स्कूलों में प्रवेश दिलाने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। अभियान का उद्देश्य सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को लेकर विश्वास और जागरूकता बढ़ाना है।
स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने घोषणा की है कि अब 30 सितंबर तक 6 साल पूरे करने वाले बच्चों को भी स्कूलों में एडमिशन दिया जाएगा। अभी तक यह सीमा 30 अप्रैल तक थी। इस फैसले से उन बच्चों को लाभ मिलेगा जो मई से सितंबर के बीच 6 वर्ष के हो रहे हैं। मंत्री ने यह भी बताया कि पिछले साल बच्चों की संख्या में जो गिरावट देखी गई थी, इस बदलाव से उसमें वृद्धि की उम्मीद है। यह निर्णय नई शिक्षा नीति के अंतर्गत लचीलापन और अधिक बच्चों को स्कूल से जोड़ने के उद्देश्य से लिया गया है।
मध्यप्रदेश सरकार अब सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए एक बड़ा बदलाव कर रही है। स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह के अनुसार, अब पांचवीं कक्षा के बाद बच्चों के एडमिशन की जिम्मेदारी स्कूल के हेड मास्टर की होगी।
अब तक होता यह था कि पांचवीं के बाद बच्चा टीसी लेकर चला जाता था, लेकिन उसके आगे की पढ़ाई का कुछ रिकॉर्ड नहीं रहता था। अब प्राइमरी स्कूल का हेडमास्टर मिडिल स्कूल के हेडमास्टर से संपर्क करेगा और सुनिश्चित करेगा कि बच्चे का छठवीं में दाखिला हो जाए।
“हैंडओवर-टेकओवर” की प्रक्रिया लागू की जाएगी, ताकि बच्चा स्कूलिंग से न छूटे। अगर किसी बच्चे के माता-पिता ध्यान नहीं देते हैं, तो स्कूल प्राचार्य और कर्मचारी स्वयं उस बच्चे के भविष्य की चिंता करेंगे। यह कदम ड्रॉपआउट रेट कम करने और हर बच्चे को शिक्षा से जोड़े रखने की दिशा में अहम माना जा रहा है।