मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि राज्य की स्वास्थ्य प्रणाली को आधुनिक, सक्षम और जन–केंद्रित बनाने का लक्ष्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि स्वास्थ्य सेवाओं का आधुनिकीकरण और मेडिकल एजुकेशन का विस्तार तेज गति से आगे बढ़ाया जा रहा है ताकि सभी नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण इलाज उपलब्ध हो सके।
उन्होंने विभाग को निर्देश दिया कि आयुष्मान योजना का लाभ अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचे और जो अस्पताल या डॉक्टर अभी तक इस योजना से जुड़े नहीं हैं, उन्हें भी तुरंत शामिल किया जाए।
डॉक्टर्स की उपलब्धता बढ़ाने के लिए ठोस कदम
मुख्यमंत्री ने कहा कि नए मेडिकल कॉलेज खुलने से डॉक्टरों की संख्या की बड़ी आवश्यकता होगी। इसलिए विभाग भर्ती प्रक्रिया को तेज करे।
उन्होंने सुझाव दिया कि—
- प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में निजी डॉक्टरों की सेवाएं नियमानुसार ली जाएं,
- उनके लिए कॉल-ऑन ड्यूटी और आकर्षक मानदेय की व्यवस्था की जाए,
- सरकारी खर्च पर पढ़ने वाले बॉन्ड डॉक्टर्स को प्रदेश में ही सेवा देने के लिए सुनिश्चित किया जाए,
- इन बॉन्ड डॉक्टरों को दूरस्थ और जनजातीय क्षेत्रों में भेजते समय विशेष प्रोत्साहन राशि दी जाए।
- उन्होंने कहा कि नए मेडिकल कॉलेजों और फील्ड अस्पतालों में बॉन्ड डॉक्टर्स को संशोधित मानदेय के साथ नियुक्त किया जाएगा।
स्वास्थ्य योजनाओं की Delivery System को मजबूत करने पर जोर
बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ पात्र लोगों तक समय पर पहुँचे, इसके लिए Delivery System को और अधिक मजबूत, पारदर्शी और व्यवस्थित बनाया जाए।
उन्होंने फील्ड स्तर पर काम करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों की भूमिका को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि उनकी सक्रियता ही सेवा की गुणवत्ता तय करती है।
अनावश्यक सीजेरियन और एम्बुलेंस दुरुपयोग पर सख्त निगरानी
मुख्यमंत्री ने निजी अस्पतालों में बिना कारण सीजेरियन ऑपरेशन किए जाने की शिकायतों पर चिंता जताई और ऐसे मामलों पर सख्ती से रोक लगाने को कहा। इसी तरह 108 एम्बुलेंस के ड्राइवरों द्वारा मरीजों को जबरन निजी अस्पताल ले जाने की शिकायतों पर भी कठोर निगरानी रखने के निर्देश दिए।
बैठक में बताया गया कि पिछले दो वर्षों में सरकारी अस्पतालों में 84,000 से अधिक हृदय संबंधी सर्जरियां कम खर्च में की गई हैं, जिस पर मुख्यमंत्री ने विभाग की सराहना की।
नए मेडिकल कॉलेज और अधोसंरचना विस्तार की योजना
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि वर्ष 2028 तक राजगढ़, मंडला, छतरपुर, उज्जैन, दमोह और बुधनी में निर्माणाधीन सरकारी मेडिकल कॉलेज शुरू कर दिए जाएंगे।इसके अलावा PPP मॉडल के तहत कई और मेडिकल कॉलेज निर्माणाधीन हैं और कुछ की निविदाएं जारी हैं। प्रदेश के एक जिले को मेडिकल टूरिज्म हब बनाने की योजना भी बनाई गई है। सभी संभागीय मुख्यालयों में 2028 तक कैथलैब स्थापित कर दी जाएंगी। साथ ही मातृ मृत्यु दर को 100 प्रति लाख जीवित जन्म तक लाने का लक्ष्य भी तय किया गया है।
स्वास्थ्य और औषधि विभाग को मिलेगा बड़ा बजट
FSSAI द्वारा वर्ष 2025–26 के लिए खाद्य सुरक्षा से जुड़ी परियोजनाओं पर 41 करोड़ से अधिक की राशि स्वीकृत की गई है। औषधि प्रशासन को मजबूत करने के लिए 211 करोड़ की पाँच वर्षीय योजना भी CDSCO को भेजी गई है, जिसके अंतर्गत 3 वर्षों में सभी पूंजीगत कार्य पूर्ण कर लिए जाएंगे।
पीपीपी मॉडल पर विस्तार और निजी निवेश को बढ़ावा
बैठक में बताया गया कि प्रदेश में निजी निवेशकों को अस्पताल निर्माण के लिए एक रुपये में भूमि उपलब्ध कराई जा रही है।
इस नवाचार के चलते—
- कटनी, धार, पन्ना और बैतूल में PPP मॉडल पर मेडिकल कॉलेज बन रहे हैं,
- नौ जिलों— अशोकनगर, मुरैना, सीधी, गुना, बालाघाट, भिंड, टीकमगढ़, खरगौन और शाजापुर में मेडिकल कॉलेज हेतु निविदाएं जारी हैं। केंद्र सरकार द्वारा इंदौर में ESIC मेडिकल कॉलेज भी शुरू किया जा चुका है।
- मेडिकल उपकरणों से लेकर कैंसर उपचार तक बड़ा विस्तार
- प्रदेश के कई मेडिकल कॉलेज में नई CT स्कैन और MRI मशीनें लग रही हैं।
- इंदौर, जबलपुर, रीवा और ग्वालियर में 50-50 करोड़ की लागत से आधुनिक ड्यूल एनर्जी लीनियर एक्सीलेटर स्थापित किए जा रहे हैं।
- इसके अलावा ब्रेकीथेरपी मशीनों के लिए भी करोड़ों रुपये स्वीकृत किए गए हैं।
जिला अस्पतालों का उन्नयन और नई सेवाओं का विस्तार
मैहर, मऊगंज और पांढुर्ना में नए जिला अस्पतालों की स्वीकृति दी जा चुकी है। टीकमगढ़, नीमच, सिंगरौली, शिवपुरी और डिंडोरी के जिला अस्पतालों में 800 नए बेड जोड़े जा रहे हैं और 810 पदों पर भर्ती को मंजूरी मिली है।
प्रदेश में—
- पीएम-श्री एयर एम्बुलेंस से 109 मरीज एयरलिफ्ट किए गए,
- शव परिवहन सेवा से 6300 से अधिक शवों का संचालन किया गया,
- हर जिला अस्पताल में जनऔषधि केंद्र स्थापित हो चुके हैं।
- टीबी उन्मूलन और सिकल सेल स्क्रीनिंग में देशभर में उत्कृष्ट प्रदर्शन
- राज्य ने मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में उल्लेखनीय सुधार किया है।
- टीबी उन्मूलन मिशन में मध्यप्रदेश देश के शीर्ष पाँच राज्यों में शामिल है।
- सिकल सेल स्क्रीनिंग में प्रदेश देशभर में प्रथम स्थान पर है, जहाँ अब तक 1.25 करोड़ से अधिक जांचें की जा चुकी हैं।
प्रदेश में वर्तमान में—
- 12,655 आयुष्मान आरोग्य मंदिर,
- 448 मुख्यमंत्री संजीवनी क्लिनिक,
- 72 मोबाइल मेडिकल यूनिट,
- 148 शव वाहन सक्रिय रूप से सेवाएं दे रहे हैं।