स्वतंत्र समय, भोपाल
मप्र सरकार हर माह कर्ज लेकर काम चला रही है। ऐसी स्थिति में नई सरकार के मंत्रियों ने नई लग्जरी कार ( luxury cars ) की डिमांड रख दी है। मंत्रियों की डिमांड को देखते हुए सरकार ने अतत: इनोवा क्रिस्टा का नया मॉडल खरीदने के लिए हरी झंडी दे दी है। लेकिन मंत्रियों की नई लग्जरी गाडिय़ां खरीदने का मामला पीएचक्यू में फंस गया है। यानी अब पीएचक्यू को तय करना है कि मंत्रियों की नई लग्जरी गाडिय़ां खरीदी जाएंगी या नहीं। एमपी स्टेट गैराज के अनुसार अभी मप्र सरकार के मंत्री इनोवा क्रिस्टा का इस्तेमाल करते हैं। मंत्रियों की डिमांड को देखते हुए राज्य गैरेज ने कम से कम 31 नई इनोवा क्रिस्टा कारों के लिए प्रस्ताव भेजा है। इनमें 28 मंत्रियों के लिए एक-एक और दो उपमुख्यमंत्रियों के लिए एक-एक शामिल है। अधिकारियों ने बताया कि अभी मंत्रियों के पास जो मौजूदा कारें हैं, उनमें भी अधिकांश नई हैं, जिसे 2022-23 में खरीदा गया था। ये कारें मुश्किल से 10,000-20000 किमी चली हैं। नई कारों की खरीद पर 11 करोड़ रुपए खर्च हो सकते हैं।
मंत्रियों के लिए luxury cars खरीदने के मामले में नया पेंच
मंत्रियों की मंशा और मांग को देखते हुए सरकार ने लग्जरी गाडिय़ों ( luxury cars ) की खरीदी की प्रक्रिया शुरू कर दी है। लेकिन मंत्रियों की नई लग्जरी गाडिय़ों में सफर करने की हसरत अभी पूरी होती नहीं दिख रही है। मंत्रियों के लिए गाडिय़ां खरीदने के मामले में नया पेंच आ गया है। पिछले महीने स्टेट गैराज ने मंत्रियों के लिए नई गाडिय़ां खरीदने का प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा था, जिसे वित्त विभाग ने कुछ क्वेरीज (प्रश्नों) के साथ गृह विभाग को लौटा दिया था।
इस बीच मुख्यमंत्री सचिवालय ने मंत्रियों के लिए नई गाडिय़ां खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है और गृह विभाग से कहा है कि पीएचक्यू की किसी मद से गाडिय़ां खरीद ली जाएं। बाद में यह राशि उस मद में वापस डाल दी जाएगी। इस तरह अब मंत्रियों के लिए गाडिय़ां खरीदने का मामला पूरी तरह से पीएचक्यू के पाले में है। पीएचक्यू को तय करना है कि वह मंत्रियों के लिए गाडिय़ां खरीदने की स्वीकृति देता है या नहीं और यदि स्वीकृति देता है, तो ये गाडिय़ां किस मद से खरीदी जाएंगी। दरअसल, इनोवा क्रिस्टा का नया मॉडल नए फीचर्स के साथ बाजार में लॉन्च हुआ है, इसलिए मंत्रियों ने इन गाडिय़ों की डिमांड सरकार से की है।
पीएचक्यू पर पहले से बोझ
मुख्यमंत्री सचिवालय ने मंत्रियों के लिए नई गाडिय़ां खरीदने के लिए पीएचक्यू को निर्देशित तो कर दिया है, लेकिन वह पहले से ही आर्थिक बोझ से दबा हुआ है। पीएचक्यू के सामने मुश्किल यह है कि वह पहले ही मुख्यमंत्री की सुरक्षा के लिए 40 नई फॉच्र्यूनर गाडिय़ां खरीदने का प्रस्ताव शासन को भेज चुका है। इनमें से 4-4 गाडिय़ां हर संभाग में भेजी जाएंगी। संबंधित संभाग के जिले विशेष में सीएम का दौरा होने पर ये गाडिय़ां उनके काफिले में शामिल की जाएंगी। सीएम को जेड प्लस सिक्युरिटी मिली हुई है। ऐसे में नई फॉच्र्यूनर गाडिय़ां खरीदना पीएचक्यू के लिए जरूरी है। वहीं अब मंत्रियों की गाडिय़ां खरीदने का बोझ भी पीएचक्यू पर आ गया है। चूंकि नया वित्त वर्ष हाल में शुरू हुआ है, इसलिए पीएचक्यू के किस मद में कितनी राशि है, यह अभी स्पष्ट नहीं है। गृह विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते विभाग अभी नई गाडिय़ां खरीदने में जल्दबाजी नहीं दिखा रहा है। संभवत: मंत्रियों के लिए गाडिय़ां लोकसभा चुनाव के बाद ही खरीदी जाएंगी। दरअसल, पीएचक्यू की स्वीकृति के बाद गाडिय़ां खरीदने का प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा जाएगा।
नियमानुसार गाड़ियां खरीदी की प्रक्रिया शुरू होगी
वित्त विभाग से मंजूरी मिलने के बाद नियमानुसार गाडिय़ां खरीदी की प्रक्रिया शुरू होगी। गाडिय़ों की खरीदी जेम (गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस) के माध्यम से की जाएगी। स्टेट गैराज से मिली जानकारी के मुताबिक मंत्रियों की पुरानी गाड़ी रिप्लेस करने का कोई नियम नहीं है। वर्ष 1971 में जारी एक सर्कुलर के अनुसार मंत्रियों को आवंटिव एचएम एंबेसडर कार कम से कम एक लाख 10 हजार किलोमीटर चलने के बाद उसे बदलने का नियम था, लेकिन उस समय प्रदेश में पक्की सडक़ें नहीं होती थीं। अब जो लग्जरी गाडिय़ां बाजार में हैं, उन्हें इस तरह डिजाइन किया गया है कि 5 लाख किलोमीटर चलने के बाद भी उनमें कोई खराबी नहीं आती। इसके अलावा अब पूरे प्रदेश में अच्छी सडक़ें बन गई हैं, जिससे गाडिय़ों में टूट-फूट नहीं होती है। गृह विभाग ने मार्च में 31 इनोवा क्रिस्टा गाडिय़ां खरीदने का प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा था। इन गाडिय़ों की खरीदी पर करीब 11 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसमें 28 गाडिय़ां मंत्रियों के लिए, एक-एक गाड़ी दोनों डिप्टी सीएम के लिए रहेगी और एक गाड़ी मुख्यमंत्री के काफिले में शामिल होगी। सूत्रों का कहना है कि वर्तमान में मंत्रियों के पास जो गाडिय़ां हैं, उनमें से अधिकतर वर्ष 2022- 23 में खरीदी गई हैं और इनमे से कई गाडिय़ां सिर्फ 10 हजार से 20 हजार किलोमीटर के बीच चली हैं और अच्छी हालत में है। अधिकारियों ने बताया कि मंत्रियों को जो कारें आवंटित की गई हैं, उससे वह संतुष्ट नहीं हैं। उनका तर्क है कि उनके पास नई कारें होनी चाहिए, क्योंकि उन्हें राज्य के विभिन्न हिस्सों में अक्सर यात्रा करनी पड़ती है।
विनोद / 14 अप्रैल 24