केंद्र सरकार ने इस बार दिवाली और अन्य त्योहारों पर सरकारी खर्च से गिफ्ट देने की पुरानी परंपरा को खत्म करने का बड़ा कदम उठाया है। वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट आदेश जारी कर कहा है कि अब किसी भी मंत्रालय, विभाग या सरकारी उपक्रम (PSU) की ओर से त्योहारों पर तोहफे देने या उनसे जुड़ी गतिविधियों पर सरकारी पैसा खर्च नहीं किया जाएगा।
व्यय विभाग का आदेश तुरंत लागू
वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने इस फैसले को ऑफिस मेमोरेंडम के जरिए लागू किया है। व्यय सचिव की मंजूरी के बाद संयुक्त सचिव पी.के. सिंह ने इस आदेश पर हस्ताक्षर किए। आदेश के अनुसार, सभी मंत्रालयों, विभागों, सरकारी कंपनियों (CPSEs), बैंकों और वित्तीय संस्थानों को त्योहारों पर तोहफों से जुड़े खर्च पर पूरी तरह रोक लगाने और सख्ती से नियमों का पालन करने को कहा गया है।
सरकारी पैसों की फिजूलखर्ची पर रोक
सरकार का मानना है कि यह कदम सार्वजनिक धन के दुरुपयोग को रोकने और टैक्सपेयर्स के पैसों का सही उपयोग सुनिश्चित करने के लिए बेहद ज़रूरी है। वित्त मंत्रालय के अनुसार, फिजूलखर्च पर लगाम कसकर सरकारी खर्चों में अनुशासन और पारदर्शिता लाई जा सकेगी।
प्रधानमंत्री की सोच से मेल खाता फैसला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार यह बात दोहरा चुके हैं कि सरकारी पैसे और संसाधनों का इस्तेमाल जिम्मेदारी और सोच-समझकर होना चाहिए। दिवाली पर गिफ्ट न देने का यह निर्णय भी उसी विचारधारा का हिस्सा है, जिसमें जवाबदेही और पारदर्शिता को प्राथमिकता दी जा रही है।
सांसद ने फैसले का किया स्वागत
इस कदम पर राजनीतिक प्रतिक्रिया भी सामने आई है। शिवसेना नेता और सांसद मिलिंद देवड़ा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर सरकार के इस फैसले की सराहना की। उन्होंने लिखा कि त्योहारों के नाम पर होने वाला खर्च अब तक कुछ चुनिंदा नेता और अधिकारी ही उठाते थे, लेकिन इस रोक से पारदर्शिता बढ़ेगी। देवड़ा ने राज्य सरकारों से भी केंद्र की तरह यह नीति अपनाने की अपील की।