इंदौर में नया आदेश लागू, बिना हेलमेट नहीं मिलेगा पेट्रोल, भारी वाहनों पर सख्ती नदारद

1 अगस्त से इंदौर में एक नया आदेश लागू किया गया है, जिसके तहत यदि कोई दोपहिया चालक हेलमेट नहीं पहने हुए है, तो उसे पेट्रोल पंप पर पेट्रोल नहीं दिया जाएगा। इस नियम को सड़क सुरक्षा के नाम पर लागू किया गया है, लेकिन इसकी सख्ती केवल आम जनता पर दिखाई दे रही है। प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस ने मिलकर इस आदेश को लागू कराने के लिए पेट्रोल पंपों को निर्देश दिए हैं कि वे बिना हेलमेट वालों को पेट्रोल न भरें।

ट्रैफिक नियमों की सख्ती सिर्फ आम लोगों पर – भारी वाहन बेखौफ

जहां दोपहिया वाहन चालकों पर यह सख्ती की जा रही है, वहीं दूसरी ओर शहर की सड़कों पर बिना नंबर प्लेट वाले ट्रक, बस और अन्य भारी वाहन बेधड़क घूम रहे हैं। इन वाहनों पर न तो किसी तरह की निगरानी हो रही है और न ही कोई कार्रवाई। नियमों की यह दोहरी नीति शहरवासियों के बीच आक्रोश और असंतोष को जन्म दे रही है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि अगर नियम सड़क सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं, तो सभी वाहनों पर समान रूप से लागू क्यों नहीं किए जा रहे?

ट्रैफिक पुलिस पेट्रोल पंपों पर सक्रिय, सड़कों से नदारद

दिलचस्प बात यह है कि ट्रैफिक पुलिस की मौजूदगी केवल पेट्रोल पंपों तक सीमित है। पेट्रोल पंपों पर पुलिस कर्मी मुस्तैदी से निगरानी कर रहे हैं कि कोई बिना हेलमेट पेट्रोल न भरवा सके, लेकिन शहर के मुख्य चौराहों और ट्रैफिक पॉइंट्स पर पुलिस की उपस्थिति नाममात्र ही है। ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने के बजाय केवल हेलमेट की जांच को प्राथमिकता देना प्रशासन की प्राथमिकताओं पर सवाल खड़े करता है।

जनता का सवाल – नियम या अत्याचार?

आम लोगों का कहना है कि हेलमेट अनिवार्यता पर किसी को आपत्ति नहीं है, लेकिन इसे लागू करने का तरीका अनुचित है। यह केवल एक वर्ग विशेष – यानी दोपहिया चालकों – को निशाना बनाने जैसा महसूस हो रहा है। भारी वाहन चालकों को नियमों से छूट मिलना लोगों के लिए अस्वीकार्य है। कुछ लोगों ने इसे ‘हेलमेट नहीं, हैरानी का फरमान’ तक कह दिया। जनता की मांग है कि नियमों को सभी के लिए समान रूप से लागू किया जाए, ताकि यह निष्पक्ष और न्यायसंगत दिखे।

अधूरा कानून, अधूरी सख्ती

इंदौर में लागू किया गया यह नया आदेश नीयत और नीति दोनों ही सवालों के घेरे में है। यदि प्रशासन वाकई में सड़क सुरक्षा को लेकर गंभीर है, तो उसे सभी प्रकार के वाहनों और चालकों पर समान रूप से नियमों की सख्ती बरतनी चाहिए। फिलहाल यह फरमान अधूरा और पक्षपातपूर्ण नजर आ रहा है, जो जनता की परेशानी बढ़ा रहा है और प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहा है।