मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इंदौर-देवास हाईवे पर हाल ही में लगे भीषण जाम के मामले में केंद्र सरकार और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) से जवाब तलब किया है। यह जनहित याचिका देवास के वकील आनंद अधिकारी ने दायर की थी। सुनवाई के दौरान एनएचएआई की तरफ से जो तर्क पेश किया गया, उसने सबको चौंका दिया। एनएचएआई के वकील ने अदालत में कहा कि “लोग बिना वजह इतनी जल्दी घर से क्यों निकलते हैं?” इस बयान ने न सिर्फ कोर्ट को बल्कि आम जनता को भी हैरान कर दिया।
50 घंटे का जाम, हजारों वाहन फंसे
याचिकाकर्ता के वकील गिरीश पटवर्धन ने अदालत को बताया कि बीते बुधवार से शुक्रवार तक इंदौर-देवास खंड पर लगभग 50 घंटे तक भीषण ट्रैफिक जाम लगा रहा, जिसमें हजारों वाहन फंसे रहे। इस दौरान स्कूल बसों, एंबुलेंस और जरूरी सेवाओं को भी बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ा। आम लोगों को लंबी दूरी पैदल चलनी पड़ी और कई लोगों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी हुईं। ऐसे में हाईकोर्ट से अपील की गई है कि सड़क निर्माण कार्य की निगरानी सीधे न्यायालय करे ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही न हो।
कोर्ट ने दिए कार्रवाई के निर्देश
इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति विवेक रूसिया और न्यायमूर्ति बिनोद कुमार द्विवेदी की खंडपीठ ने मामले की गंभीरता को समझते हुए केंद्र सरकार, एनएचएआई, इंदौर प्रशासन और पुलिस को नोटिस जारी किया है। अदालत ने सड़क निर्माण कर रही निजी कंपनी को भी प्रतिवादी की सूची में शामिल किया है। साथ ही, भारी वाहनों के लिए वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था को फिलहाल जारी रखने का निर्देश दिया है ताकि दोबारा जाम की स्थिति न बने।
जाम में मौत का मामला, गुस्से में लोग
इंदौर निवासी विजय पांचाल ने दावा किया है कि जाम में फंसे रहने के कारण उनके 65 वर्षीय पिता कमल पांचाल की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। उन्होंने आरोप लगाया कि अगर रास्ता खाली होता तो समय पर अस्पताल पहुंचाया जा सकता था। इस घटना से जनता में भारी नाराजगी देखी गई। लोगों का कहना है कि खराब प्लानिंग और प्रशासन की लापरवाही से यह संकट पैदा हुआ। फिलहाल प्रशासन ने यातायात व्यवस्था में सुधार के लिए वैकल्पिक मार्गों की घोषणा की है, लेकिन हाईवे निर्माण को लेकर जवाबदेही तय करना जरूरी हो गया है।